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Ayodhya News: रामलला के लिए आया ये खास प्रेजेंट, भाइयों समेत भगवान राम लेंगे इसमें सावन का आनंद

Ayodhya News: शुक्रवार को नागपंचमी का त्योहार है। इस मौके पर भगवान को चांदी के नए झूले में झुलाने की शुरुआत की जाएगी। अयोध्या में परंपरा है कि सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन सभी मंदिरों से भगवान की मूर्तियां रथों पर सवार कराकर मणि पर्वत ले जाई जाती हैं। वहां लगे पेड़ों की डाल पर देवी-देवताओं को झुलाया जाता है।

अयोध्या। रामनगरी में सावन के मौके पर मणिपर्वत का प्रसिद्ध मेला शुरू तो हो गया है, लेकिन कोरोना के कारण प्रशासन ने बाहर से आने वाले भक्तों के लिए आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी कर दिया है। इस वजह से अयोध्या के लोग ही मेले में जा रहे हैं। वहीं, रामलला और उनके भाइयों के लिए नई भेंट आई है। इस भेंट से भगवान राम और उनके भाई सावन का आनंद लेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार सावन में रामलला और उनके भाइयों को झुलाने के लिए चांदी का झूला बनवाया गया है। बीते 500 साल में पहली बार भगवान राम और उनके भाई इस चांदी के झूले पर विराजेंगे। अब तक हर सावन में रामलला और उनके भाइयों की मूर्तियों को लकड़े के झूले में झुलाया जाता था। चांदी का झूला मंदिर पहुंच चुका है और भगवान को इसमें झुलाया जाएगा।चांदी का झूला मंदिर में पहुंचने के बाद इसकी पूजा की गई।

ramlala

शुक्रवार को नागपंचमी का त्योहार है। इस मौके पर भगवान को चांदी के नए झूले में झुलाने की शुरुआत की जाएगी। अयोध्या में परंपरा है कि सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन सभी मंदिरों से भगवान की मूर्तियां रथों पर सवार कराकर मणि पर्वत ले जाई जाती हैं। वहां लगे पेड़ों की डाल पर देवी-देवताओं को झुलाया जाता है। पिछली बार कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका था। इस बार भी देवताओं को मणि पर्वत पर ले जाने की रोक लगाई गई है।

Ramlala

बताया जाता है कि भगवान राम जब वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो उनको और मां सीता को भेंट में खूब मणियां मिली थीं। इन मणियों का ढेर लगाया गया था। उसी जगह को मणि पर्वत कहा जाता है। यहां रामायणकालीन पेड़ अब भी मौजूद बताए जाते हैं। पास में ही सीता ताल है। कहा जाता है कि यहां सीता जी घूमने आती थीं।