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Hijab Row: संविधान की दुहाई देने वाली ‘द वायर’ की पत्रकार ने अब हिजाब विवाद पर मुस्लिमों को भड़काने के लिए किया ऐसा ट्वीट

hijab controversy : प्रशासन का कहना था कि शिक्षण संस्थान का अपना एक रेस कोड है, जिसका पालन सभी लोगों को करना अनिवार्य है, लेकिन ये छात्राएं मौलिक अधिकारों का हवाला देकर हिजाब पहनने की पैरोकारी कर रहे हैं। बहरहाल, अभी यह मसला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मसले को लेकर सुनवाई का सिलसिला जारी है।

नई दिल्ली। अगर आप रोजाना सुबह की चाय की गर्मागर्म चुस्की के साथ अखबारों को पढ़ने का तलब रखते हैं या शाम थके हारे दफ्तर से आकर टीवी देखना आपकी फितरत में शुमार है, तब तो आप इस बात से वाकिफ ही होंगे कि पिछले कुछ दिनों से किस तरह हिजाब विवाद को लेकर विरोध का बजार गुलजार हो चुका है। वैसे तो भारत में न जाने मुस्लिम महिलाओं के बीच हिजाब पहनने की रवायत कितने वर्षों से जारी रही है, लेकिन बीते दिनों इसे लेकर उठे विरोधी स्वर ने सियासी गलियारों में बेशुमार सवालों की बयार बहा दी है। इस विवाद की शुरूआत कर्नटाक के उड्डपी जिले में स्थित कॉलेज में पढ़ने वाली मुस्लिम छात्राओं से हुई है। कथित तौर पर इन मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज प्रशासन ने हिजाब पहनकर जाने से मना कर दिया था।

hijab row

प्रशासन का कहना था कि शिक्षण संस्थान का अपना एक ड्रेस कोड है, जिसका पालन सभी लोगों को करना अनिवार्य है, लेकिन ये छात्राएं मौलिक अधिकारों का हवाला देकर हिजाब पहनने की पैरोकारी कर रहे हैं। बहरहाल, अभी यह मसला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मसले को लेकर सुनवाई का सिलसिला जारी है। ऐसे में ये देखना होगा कि आगे चलकर कोर्ट इस मसले पर क्या फैसला लिया जाता है, लेकिन उससे पहले जहां सियासी गलियारों में सियासी सूरमाओं द्वारा इस मसले पर सियासी रोटियां सेंके जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है, तो वहीं कुछ समाज के तथाकथित प्रबुद्ध लोगों के इस द्वारा इस मसले के सहारे अपनी विकृत मानसिकता को प्रदर्शित करने का क्रम भी प्रारंभ हो चुका है।अब इसी क्रम में अपनी भागीदारी निभाते हुए दॉ वायर की तथाकथित पत्रकार बार्टन नाओमी ने हिजाब विवाद विवाद के मसले को लेकर देश के मुस्लिमों को भड़काने का काम किया है। उन्होंने इस मसले के सहारे देश के मुस्लिमों को हिंदुओं के खिलाफ मोर्चा खोलने तक की बात कह डाली है। आइए, आपको बताते हैं कि आखिर उन्होंने कैसे इस मसले के सहारे देश के मुस्लिमों को भड़काने का काम किया है। इसके लिए हम आपको दिखाते हैं, वो ट्वीट, जो कि उन्होंने किया था।

नाओमी बॉर्टन का ट्वीट

अगर कोई मुस्लिम समुदाय एक हिंदू महिला से दुपट्टा लेने के लिए एक साथ आया होता तो सड़कों पर खून होता। यह एक विशेष रूप से क्रूर अपमान है कि प्रतिशोध के डर से मुस्लिम महिलाओं को दिए गए अपमान पर मुसलमान असहाय रूप से देखने के लिए मजबूर हैं।

तो बतौर पाठक आप उनके इस ट्वीट के जरिए उनकी विकृत हो चुकी मानसिकता का अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं, अगर खबरों की मानें तो ये कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब उन्होंने हिजाब मसले के सहारे अपनी संदिग्ध प्रबुद्ध मानसिकता का प्रदर्शन किया है, बल्कि इससे पहले भी वे राम मंदिर जैसे मसलों पर देश में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने का काम कर चुकी है। इससे पहले जहां उन्होंने कहा था कि देश में राम के नाम पर घृणा फैलाने का काम किया जा रहा है, तो वहीं उन्होंने यह भी कहा था कि  हर हिंदू को हनुमान चालिसा के बारे में नहीं पता है। एक बार तो उन्होंने हिंदुओं की संस्कृति का भी अपमान किया था। दरअसल, उन्होंने एक वीडियो साझा किया था  जिसमें यह दिखाया गया था कि कैसे हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार घऱ प्रवेश होता है। इस वीडियो के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि  आप देख सकते हैं कि कैसे समाज में ब्रामणवाद का निर्माण होता है। तो दॉ वायर की पत्रकार के इन कृत्यों को देखकर आप अंदाजा लगा ही सकते हैं कि कैसे वो समाज में हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने का अनुंबध कर चुकी हैं।