बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने एक अहम फैसले में मंदिरों के धन को किसी दूसरे काम में इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस अहम फैसले से अब इस धन को गैर हिंदू या दूसरे धर्म के किसी भी काम में लगाया नहीं जा सकेगा। कर्नाटक सरकार ने 23 जुलाई को इस बारे में अधिसूचना जारी की है। सरकार के मुताबिक हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल यानी मुजरई विभाग मंदिरों के धन को किसी और स्थान पर खर्च नहीं कर सकेगा। इससे पहले मुजरई विभाग इस धन को मंदिरों से इकट्ठा कर दूसरे काम में खर्च कर देता था। इसका काफी दिनों से विरोध हो रहा था। राज्य और जिलों के धार्मिक परिषदों के विरोध के बाद पिछले महीने मुजरई विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा था कि उनका विभाग अब से मंदिरों के धन को गैर हिंदू संस्थाओं को नहीं देगा। इससे पहले सरकार जो तास्तिक धन यानी मंदिर को दान के तौर पर धन देती थी, उसे वापस लेकर दूसरी जगह खर्च भी कर देती थी।
कर्नाटक सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक 26 जुलाई से ही मंदिरों को मिलने वाले सालाना दान की रकम को अब अन्य धर्मों के 757 धार्मिक केंद्रों और 111 प्रार्थना स्थलों को नहीं दिया जा सकेगा। इसकी जगह इन धार्मिक केंद्रों और प्रार्थना स्थलों को अल्पसंख्यक समुदाय की भलाई के लिए बने विभाग से रकम मिलेगी।
कर्नाटक से बड़ी खबर : कर्नाटक सरकार ने जारी किया आदेश, कहा “मंदिरों के फंड्स को गैर हिन्दू गतिविधियों में न किया जाए इस्तेमाल।”#Karnatka pic.twitter.com/Vv2bf74f80
— Rakesh Pandey (@iRakeshPanday) August 1, 2021
बता दें कि कर्नाटक के पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और केरल में भी वहां की सरकार मंदिरों का धन ले लेती है। दोनों राज्यों में मंदिरों के ट्रस्ट इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। मंदिरों का धन न लेने के कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद अब तमिलनाडु और केरल की सरकारों पर भी ऐसा ही आदेश जारी करने का दबाव बनने की राह आसान हो गई है।