नई दिल्ली। अगर राजनीति में यू टर्न को लेकर कोई अवॉर्ड होता तो निश्चित तौर पर ये सम्मान आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को ही मिलता। आपको शायद इस बात पर यकीन नहीं होगा लेकिन सच्चाई यही है कि आरोप लगाकर राजनीति में एंट्री करने वाले अरविंद केजरीवाल अब खुद सबूतों की दुहाई दे रहे हैं। यही नहीं केजरीवाल आम आदमी पार्टी पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए सबूत मांगने में जुटे हैं। सवाल ये है कि केजरीवाल अब आरोपों को साबित करने की चुनौती क्यों दे रहे हैं? क्या आरोपों की राजनीति करने वाले केजरीवाल अपने ही जाल में फंस गए हैं ? क्या अब सबूतों की सियासत करके केजरीवाल आरोपों से बचना चाहते हैं।
दरअसल, ये पूरा विवाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की टिकट बिक्री के आरोपों के बाद शुरु हुआ है। पंजाब में टिकट की खरीद फरोख्त को लेकर, आम आदमी पार्टी पर कई आरोप लग रहे हैं। पंजाब के कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब के प्रभारी राघव चड्ढा पर टिकट बेचने का आरोप लगा चुकी है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में मारपीट भी हुई है। कुल मिलाकर पंजाब में आम आदमी पार्टी में टिकट घोटाले में फंसती जा रही है। लेकिन अब केजरीवाल इन आरोपों पर सबूतों की मांग कर रहे हैं।
आपको याद होगा कि कैसे केजरीवाल ने, नेताओं से लेकर उद्योपतियों पर आरोप लगा कर राजनीति की शुरुआत की थी। उस समय कैसे केजरीवाल ने आरोपों की मार्केटिंग करके अपनी राजनीति चमकाई थी। जब केजरीवाल खुद इन आरोपों का सबूत नहीं दे पाए तो उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी। लेकिन अब जब पंजाब में आम आदमी की टिकटों की बिक्री का आरोप लग रहा है तो केजरीवाल आरोपों वाली राजनीति पर यू-टर्न लेकर सबूत मांग रहे हैं सच कहा जाए तो ईमानदारी की कसमें खाने वाले केजरीवाल कुर्सी के मोह में ऐसे बदल जाएंगे ये किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। अब अगर टिकट घोटाले पर केजरीवाल, ठोस कार्रवाई के बजाए, सबूत मांगते रहे गए तो उन्हें पंजाब में इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।