बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा के लिए आज वोटिंग हो रही है। 13 मई को नतीजे आएंगे। ऐसे में अभी से चर्चा इसकी हो रही है कि किस पार्टी की सरकार बनने पर किसके सीएम बनने के चांस ज्यादा हैं। मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच है। ऐसे में जान लेते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद कौन सी पार्टी की तरफ से किसके सीएम बनने के आसार ज्यादा हैं।
पहले मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई की बात कर लेते हैं। वो साल 2006 में जेडीयू छोड़कर बीजेपी में आए थे। पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा उनको बीजेपी में लाए। वो बीजेपी और संघ परिवार के लिहाज से बाहरी हैं। जुलाई 2021 में बीएस येदियुरप्पा के सीएम पद छोड़ने पर बसवराज बोम्मई सीएम बने। वो मेहनती हैं, लेकिन बतौर सीएम बोम्मई के कार्यकाल में हिजाब, अजान और अन्य मुद्दों से कर्नाटक का माहौल गरमा गया। इस बार पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत सभी नेता बोम्मई को सीएम चेहरा बताकर प्रचार करते रहे। ऐसे में तय है कि अगर कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी, तो बसवराज बोम्मई को एक बार फिर मौका मिल सकता है।
बसवराज बोम्मई के अलावा बीजेपी की सरकार कर्नाटक में बनने पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भी सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं। प्रह्लाद जोशी कर्नाटक की हुबली-धारवाड़ सीट से 4 बार सांसद चुने गए। वो मोदी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री हैं। पीएम मोदी और अमित शाह के भी प्रह्लाद जोशी करीबी माने जाते हैं। प्रह्लाद जोशी के खिलाफ बस एक ही बात है कि वो लिंगायत समुदाय से नहीं आते हैं। ऐसे में बसवराज बोम्मई के मुकाबले उनकी दावेदारी कुछ कमजोर जरूर पड़ती है। साथ ही केंद्र में मोदी सरकार के संसदीय मामले उन्होंने इतने बेहतर तरीके से संभाले हैं कि उनको रिलीव किया जाना भी मुश्किल हो सकता है।
अब बात कांग्रेस के कद्दावर नेता सिद्धारामैया की। सिद्धारमनहुंडी के निवासी सिद्धारामैया साल 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम रहे। इसके बाद चुनाव हुए, तो कांग्रेस 122 से घटकर 80 सीटों पर चली गई। सिद्धारामैया पर आरोप लगे कि उन्होंने 5 साल के शासन में अपने कुरुबा समुदाय के अफसरों को आगे बढ़ाया। कर्नाटक की आबादी में बड़ा हिस्सा रखने वाले लिंगायत उनसे इसलिए नाराज रहे, क्योंकि सिद्धारामैया ने वीरशैव और लिंगायत में विभाजन की कोशिश की। इसके अलावा एक और बड़ा समुदाय वोक्कालिगा भी सिद्धारामैया से खफा रहा।
अब कांग्रेस के दूसरे सीएम फेस डीके शिवकुमार की बात करते हैं। वो पहले भी कर्नाटक के सीएम बनना चाहते थे और अब भी हैं। सिद्धारामैया से उनका छत्तीस का आंकड़ा होने की बात कही जाती है। दूसरे राज्यों में जब भी कांग्रेस की सरकारें बगावत के संकट से जूझीं, तो डीके शिवकुमार ने उनको कर्नाटक बुलाकर पार्टी को जीवनदान दिलाया। अमीर नेताओं में शामिल शिवकुमार कांग्रेस के फंड मैनेजर भी माने जाते हैं। राहुल गांधी भी उनपर काफी भरोसा करते हैं। अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो शिवकुमार का सीएम बनने का तगड़ा दावा रहेगा। हालांकि, उनके खिलाफ ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई जांच के मुद्दे उठ सकते हैं। शिवकुमार 3 महीने से ज्यादा वक्त जेल में भी रह चुके हैं। ये भी उनके खिलाफ जा सकता है।
अब एक और पूर्व सीएम और फिर सीएम बन सकने योग्य कन्नड़ नेता की बात कर लेते हैं। इनका नाम एचडी कुमारस्वामी है। कुमारस्वामी जेडीएस के नेता हैं। उनके पिता एचडी देवगौड़ा पीएम रह चुके हैं। कुमारस्वामी ने 2019 में कांग्रेस से गठजोड़ कर कर्नाटक का सीएम पद हासिल किया था, लेकिन इस पद पर 14 महीने ही टिक सके। उनके दौर में प्रशासनिक व्यवस्था गड़बड़ाने के आरोप भी लगे। अगर इस बार जेडीएस 30 से ज्यादा सीटें ले आती है, तो एक बार फिर एचडी कुमारस्वामी की किस्मत का सितारा चमक सकता है। आज की वोटिंग के बाद सबकी नजर अब 13 मई को टिकने वाली है। उसी तारीख को तय होगा कि कर्नाटक में सरकार कौन सी पार्टी बना रही है। जिसके बाद ही अगले सीएम के बारे में कुछ अंदाजा लगाया जा सकेगा।