
मुंबई। शरद पवार ने आखिरकार एनसीपी अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा वापस लेने का एलान कर दिया। पवार जब शुक्रवार को इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दे रहे थे, तो उनके भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार वहां नहीं थे। इससे कयास लगने लगे कि क्या अजित पवार अपने चाचा के फैसला बदलने से नाराज हैं? इन कयासों के बाद देर शाम अजित पवार की तरफ से एक बयान जारी किया गया। अपने बयान में अजित पवार ने कहा कि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहने का पवार साहब का फैसला कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने वाला और महाविकास अघाड़ी की ताकत है। अजित पवार ने बयान में कहा कि एनसीपी एक परिवार है और पवार साहब के नेतृत्व में पार्टी देश और प्रदेश में शानदार सफलता हासिल करेगी। उन्होंने शरद पवार की उम्र और सेहत की जिम्मेदारी सभी से लेने को भी कहा।
अजित पवार ने अपने बयान में ये जानकारी भी दी कि वो अब 8 दिन के लिए महाराष्ट्र के नासिक, लातूर, पुणे, सातारा और उस्मानाबाद के दौरे पर रहेंगे। उधर, शरद पवार ने अजित के प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद न रहने के बारे में कहा था कि हर व्यक्ति यहां मौजूद नहीं भी हो सकता है। शरद पवार ने ये जानकारी भी दी कि आखिर किनके कहने पर उन्होंने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लिया। पवार ने बताया कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का खुद के प्रति प्यार वो ठुकरा नहीं सके। साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी फोन कर उनसे कहा कि वो अध्यक्ष पद न छोड़ें, क्योंकि उनका इस पद पर रहना विपक्षी एकता के लिए जरूरी है।
शरद पवार ने बीती 2 मई को एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया था। पवार ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अजित पवार को भी उनके फैसले का पता पहले से था। बाकी लोगों से उन्होंने चर्चा नहीं की थी, क्योंकि उनको पता था कि लोग फैसला नहीं लेने देंगे। पवार ने ये भी कहा कि अब वो तन, मन और धन से एनसीपी के लिए जुटेंगे और उसे बड़ी सियासी ताकत बनाने के लिए काम करेंगे। उन्होंने ये भी बताया कि उनके अलावा एनसीपी से जिन्होंने भी पद छोड़े हैं, उनके इस्तीफे नामंजूर किए गए हैं।