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Mann Ki Baat: जानिए कहां लगता है माधवपुर मेला, ‘मन की बात’ में PM मोदी ने आज किया जिसका जिक्र

Mann Ki Baat: माधवपुर में भगवान कृष्ण और रुक्मिणी की याद में माधवराय मंदिर भी बनाया गया है। यहां मेले के दौरान अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के अलावा अन्य कई राज्यों के लोक कलाकार सांस्कृतिक प्रदर्शन भी करते हैं। मणिपुर की संगीत मंडली खुल्लोंग ईशाई और नेट जीन यहां देवी रुक्मिणी से संबंधित गीतों और नृत्य को भी पेश करती रही हैं।

नई दिल्ली। भारत पर्वों और उत्सवों का देश है। यहां हर महीने पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं। इसी कड़ी में एक मेला गुजरात में भी लगता है। आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि वे इस मेले को देखने जरूर जाएं। तो आइए आपको बताते हैं कि क्या है माधवपुर मेला और इसे देखने के लिए आपको गुजरात में कहां जाना होगा। माधवपुर मेला इस वक्त गुजरात के पोरबंदर में लगता है। ये मेला भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी की याद में लगता है। सात दिन तक चलने वाले इस मेले का संबध अरुणाचल प्रदेश की मिश्मी जनजाति से भी है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों के लोग इस मेले में हिस्सा लेते हैं।

माधवपुर में भगवान कृष्ण और रुक्मिणी की याद में माधवराय मंदिर भी बनाया गया है। यहां मेले के दौरान अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के अलावा अन्य कई राज्यों के लोक कलाकार सांस्कृतिक प्रदर्शन भी करते हैं। मणिपुर की संगीत मंडली खुल्लोंग ईशाई और नेट जीन यहां देवी रुक्मिणी से संबंधित गीतों और नृत्य को भी पेश करती रही हैं। रुक्मिणी और भगवान कृष्ण से जुड़ी किंवदंतियों पर आधारित नृत्य नाटिकाएं भी यहां कई दल पेश करते हैं।

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अरुणाचल की मिश्मी जनजाति के लोग खुद को पौराणिक राजा भीष्मक से जोड़ते हैं। इस जनजाति के लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी यहां की राजकुमारी थीं। ये लोग अमर यात्रा त्योहार भी मनाते हैं और उनका मानना है कि रुक्मिणी की वजह से ही ये त्योहार अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक पहुंचा। बता दें कि अरुणाचल की निचली दिबांग घाटी जिले के रोइंग के पास भीष्मनगर होने की बात कालिका पुराण में भी कही गई है।