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No Confidence Motion Against Modi: पीएम मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तो ला रहा विपक्ष, लेकिन गणित में उसका मात खाना तय

मणिपुर के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से बयान की मांग कर रहे विपक्ष ने अब लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। दरअसल, विपक्ष हर हाल में मोदी से संसद में बयान दिलाना चाहता है। नियम ये है कि अविश्वास प्रस्ताव का जवाब पीएम को ही देना होता है, तो मोदी ही लोकसभा में जवाब देंगे।

नई दिल्ली। मणिपुर के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से बयान की मांग कर रहे विपक्ष ने अब लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। दरअसल, विपक्ष हर हाल में मोदी से संसद में बयान दिलाना चाहता है। खुद नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ये बात कह चुके हैं कि मोदी बयान नहीं दे रहे, तो अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था। हालांकि, संख्याबल की बात करें, तो विपक्ष को भी पता है कि लोकसभा में चर्चा के बाद वोटिंग के दौरान उसके अविश्वास प्रस्ताव का क्या हश्र होना है। इसकी वजह वो संख्याबल है, जो पीएम मोदी के पक्ष में है।

pm modi in parliament 1

लोकसभा में कुल 545 सीटें हैं। इनमें से फिलहाल बीजेपी के ही 300 सांसद हैं। इसके अलावा अन्य सहयोगी दलों के भी 16 सांसदों का साथ सरकार के पक्ष में है। अगर सहयोगी दलों के वोट भी हटा दिए जाएं, तो बीजेपी की मोदी सरकार अपने दम पर ही आराम से विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को वोटिंग में ध्वस्त कर देगी। अब विपक्ष के कुनबे पर भी नजर डाल लेते हैं। विपक्ष में सबसे ज्यादा सांसद कांग्रेस के हैं। लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 53 है। इसके बाद ममता बनर्जी की टीएमसी के 24 और डीएमके के 24 सांसद लोकसभा में हैं।

opposition Leader

विपक्ष के कुनबे में जेडीयू के 16 सांसद भी हैं। इनके अलावा छोटे दलों के कुछ और सांसद भी विपक्ष के पाले में हैं। फिर भी उनकी संख्या इतनी नहीं है कि अविश्वास प्रस्ताव में मोदी सरकार को वो पटकनी दे सकें। 2019 से जिस तरह देश का सियासी चेहरा बदला है, उससे भी मोदी सरकार को लोकसभा में संख्याबल के मामले में बढ़त मिली है। शिवसेना के जो 19 सांसद 2019 में चुनकर आए, वो उद्धव ठाकरे के महाविकास अघाड़ी का हिस्सा होने की वजह से पहले विपक्ष के साथ थे। अब शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास है, तो इन सांसदों को भी सरकार के पक्ष में वोट देना होगा। वहीं, एनसीपी का मसला भी ऐसा ही है। अगर इन दलों के सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट न दिया, तो उनकी संसद सदस्यता रद्द होने का खतरा होगा। कुल मिलाकर मोदी सरकार विपक्ष के लाए अविश्वास प्रस्ताव का ध्वस्त होना तय है। अब सबकी नजर इस पर है कि इस प्रस्ताव का जवाब देते हुए पीएम मोदी कौन से जवाबी तीर से विपक्ष पर पलटवार करते हैं।