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UCC: मोदी सरकार लाने वाली है समान नागरिक संहिता का बिल!, केंद्रीय मंत्री के बयान से संकेत

ये कानून विवाह, वसीयत, तलाक और अन्य कुछ मसलों में सभी के लिए एक होते हैं। फिलहाल देश में हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय को हिंदू कोड बिल के तहत रखा गया है। जबकि, मुस्लिमों और ईसाइयों के अलग-कानून हैं। यूसीसी लागू होने पर सभी समुदायों के लिए कोई अलग और खास कानून नहीं रह जाएगा।

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 को रद्द करने, सीएए कानून बनाने, तीन तलाक को अवैध घोषित करने के बाद अब मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में कदम बढ़ाती दिख रही है। इसके संकेत केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिए हैं। रिजिजू ने शनिवार को आजतक चैनल से खास बातचीत में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखा है कि सरकार यूसीसी लाने की दिशा में काम करेगी। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की देश के लिए क्या सोच है, ये भी सभी जानते हैं। रिजिजू ने कहा कि बीजेपी का एजेंडा भी सभी लोगों को पता है। उन्होंने यूसीसी लाने के बारे में कैसे संकेत दिए, ये आप सुनिए।

यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता आखिर है क्या? समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का मतलब है देश के हर नागरिक के लिए कुछ मायनों में एक समान कानून। ये कानून विवाह, वसीयत, तलाक और अन्य कुछ मसलों में सभी के लिए एक होते हैं। फिलहाल देश में हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय को हिंदू कोड बिल के तहत रखा गया है। जबकि, मुस्लिमों और ईसाइयों के अलग-कानून हैं। यूसीसी लागू होने पर सभी समुदायों के लिए कोई अलग और खास कानून नहीं रह जाएगा। सभी के यहां ऊपर बताए मामलों में एक जैसा कानून लागू होगा।

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यूसीसी लाने की मोदी सरकार की कोशिश का भी विरोध होने के आसार हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका पहले ही विरोध किया है। पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मुस्लिमों के तमाम मसले शरीयत के हिसाब से चलते हैं। यूसीसी लाकर शरीयत के प्रावधानों को दरकिनार करना वो मंजूर नहीं करेंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कई बार अपने फैसलों के दौरान केंद्र सरकार से यूसीसी लागू करने को कह चुका है। गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने यूसीसी लागू करने के लिए कमेटियां बनाई हैं। देश में यूसीसी सिर्फ गोवा में लागू है। वहां पुर्तगाल के शासन के दौरान यूसीसी लागू किया गया था।