newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Nancy Pelosi In Taiwan: पेलोसी के ताइवान दौरे को कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बताया ऐतिहासिक, बोले- हमें भी संसदीय दल…

पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है। चीन ने ताइवान से कई चीजों के आयात पर रोक लगा दी है। उसकी सेना लाइव युद्धाभ्यास भी करने का एलान कर चुकी है। जबकि, ताइवान सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन सब हथकंडों से चीन की अंतरराष्ट्रीय छवि दागदार ही होगी।

नई दिल्ली। अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन और अमेरिका के बीच तनातनी जहां बढ़ी है। वहीं भारत में भी अब ये मांग उठने लगी है कि यहां का एक संसदीय दल भी ताइवान जाए और ऐसा करके चीन को कड़ा संदेश दिया जाए। ये मांग कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने की है। मनीष तिवारी ने ट्वीट कर पेलोसी की ताइवान यात्रा की तारीफ की है। मनीष ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए लिखा है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भी संसदीय प्रतिनिधिमंडल लेकर ताइवान जाना चाहिए। तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का जिक्र भी किया है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी संसद को सरकार की एक ब्रांच बताया है। यानी संसदीय दल की यात्रा पर अमेरिकी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता।

मनीष तिवारी ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ऐतिहासिक है। जैसा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शी जिनपिंग से कहा है कि संसद सरकार की एक शाखा के समान है। उसी तरह आपके नेतृत्व में एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को भी ताइवान की यात्रा पर विचार करना चाहिए।’ तिवारी ने ये भी लिखा है कि ये सिर्फ स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का मसला नहीं है, बल्कि इससे एशिया प्रशांत क्षेत्र गरमा रहा है। अमेरिका के तीन विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन, यूएसएस त्रिपोली और यूएसएस अमेरिका भी ताइवान के आसपास के क्षेत्र में तैनात हैं। यह 1995 के बाद अमेरिका का सबसे गंभीर शक्ति प्रदर्शन है।

nancy pelosi

उधर, पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है। चीन ने ताइवान से कई चीजों के आयात पर रोक लगा दी है। उसकी सेना लाइव युद्धाभ्यास भी करने का एलान कर चुकी है। जबकि, ताइवान सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन सब हथकंडों से चीन की अंतरराष्ट्रीय छवि दागदार ही होगी। अब ये मामला कौन सा मोड़ लेता है, इस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। फिलहाल अमेरिका और चीन, दोनों ही अपने-अपने रुख पर अड़े हैं। ऐसे में हालात सामान्य नहीं दिख रहे और इनके और बिगड़ने के आसार हैं।