
मुंबई। कुछ वक्त पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर सियासत गर्म हुई थी। अब औरंगजेब के मुद्दे पर सियासत के फिर गर्माने के आसार हैं। महाराष्ट्र के मंत्री संजय शिरसाट ने कहा है कि जल्दी ही महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद कस्बे का नाम बदला जाएगा। खुल्दाबाद में ही औरंगजेब की कब्र है। औरंगजेब की इसी कब्र की वजह से सियासत गर्माई है। मांग उठ रही है कि खुल्दाबाद से औरंगजेब की कब्र को हटाया जाए। खुल्दाबाद कस्बा छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) से 25 किलोमीटर दूर है। यहां औरंगजेब के अलावा उसके बेटे समेत कई कब्र हैं।
संजय शिरसाट ने कहा कि छत्रपति संभाजीनगर को पहले खड़की कहा जाता था। बाद में इसका नाम औरंगाबाद किया गया। शिरसाट के मुताबिक खुल्दाबाद का नाम भी पहले रत्नापुर था। औरंगजेब के वक्त औरंगाबाद और खुल्दाबाद नाम रखे गए। संजय शिरसाट ने कहा कि अब महाराष्ट्र सरकार खुल्दाबाद का नाम बदलकर उसका पुराना नाम रत्नापुर करेगी। संजय शिरसाट ने ये भी कहा कि महाराष्ट्र में जिन भी जगहों के नाम में “बाद” लगा है, उन सभी का नाम बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि खुल्दाबाद में स्मारक भी बनवाया जाएगा। जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास दिखाया जाएगा। संजय शिरसाट ने पहले कहा था कि औरंगजेब क्रूर था और उसने संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया। जिसकी वजह से महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र के लिए कोई जगह नहीं है।
औरंगजेब के खिलाफ ये माहौल “छावा” सिनेमा की रिलीज के बाद बना है। छावा में छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब की जंग दिखाई गई है। छावा में दिखाया गया है कि किस तरह औरंगजेब के आदेश पर छत्रपति संभाजी महाराज और उनके साथी कवि कलश पर अत्याचार किया गया। इतिहास के मुताबिक औरंगजेब की सेना ने संगमेश्वर के सरदेसाई वाड़ा से छत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलश को पकड़ा था। फिर दोनों को 40 दिनों तक भयानक यातना देने के बाद उनकी हत्या की गई थी। इसी वजह से औरंगजेब के खिलाफ लोगों में नाराजगी है।