नई दिल्ली। महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार महा विकास अघाडी (एमवीए) में शामिल सहयोगी दल राकांपा(NCP) और शिवसेना के बीच राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख के मुद्दे को लेकर तकरार बनी और आगे बढ़ती जा रही है। बता दें कि ऐसे में कांग्रेस अभी मूकदर्शक बनी हुई है। इसी बीच, NCP सुप्रीमो शरद पवार और केंद्रीय गृह म्ंत्री अमित शाह के बीच हुई ‘मुलाकात’ की मंशा को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में कुछ बड़ा होने वाला है। जो सत्ता पलट या NCP और भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने की तरफ इशारे कर रहा है। हालांकि अमित शाह ने संकेत दिया कि पवार के साथ बैठक अहमदाबाद में हुई, लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया। इस घटना ने कांग्रेस और शिवसेना को ऐसे महत्वपूर्ण मौके पर परेशान किया है, जब भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर प्रहार शुरू किया है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी इन गतिविधियों पर करीब से नजर रख रही है। लेकिन, जब तक कोई राजनीतिक प्रगति नहीं होती है, तब तक वह सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं करेगी।
गौरतलब है कि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में देशमुख को ‘आकस्मिक गृहमंत्री’ कहा था। यह भी दावा किया गया कि राकांपा की जो पहली पसंद थे, उनको इनकार कर दिए जाने के बाद देशमुख को पवार द्वारा इस पद के लिए चुना गया था। इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कड़ी आपत्ति जताई।
NCP के राज्यमंत्री और पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने इस दावे का खंडन किया कि देशमुख को ‘गलती से’ चुना गया, जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि NCP कोटे से मंत्रियों का चयन करना शरद पवार का विवेकाधिकार था। पार्टी प्रमुख ने मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा एक ‘विस्फोटक पत्र’ में उन पर लगाए गए गंभीर आरोपों के मद्देनजर देशमुख को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि आरोप ‘अस्पष्ट’ हैं।