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Tata Group And Pakistan: रतन टाटा जब चाहें खरीद सकते हैं पाकिस्तान!, पड़ोसी मुल्क की जीडीपी के मुकाबले इतना ज्यादा है उनकी कंपनियों की वैल्यू

Tata Group And Pakistan: आजादी के वक्त पाकिस्तान और भारत की हालत एक जैसी थी, लेकिन भारत लगातार तरक्की करता गया और पाकिस्तान की हालत उसकी नीतियों के कारण पस्त होती गई। पाकिस्तान में लोग रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमतों से आज परेशान हैं।

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान एक साथ ही आजाद हुए। 14 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने पाकिस्तान और एक दिन बाद 15 अगस्त को भारत को आजाद किया। आजादी के वक्त पाकिस्तान और भारत की हालत एक जैसी थी, लेकिन भारत लगातार तरक्की करता गया और पाकिस्तान की हालत उसकी नीतियों के कारण पस्त होती गई। पाकिस्तान में लोग रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमतों से आज परेशान हैं। वहीं, अपना खर्च चलाने के लिए पाकिस्तान 2023 में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ से 3 अरब डॉलर कर्ज लेने का समझौता कर चुका है। अब आईएमएफ की ही ताजा जानकारी बताती है कि पाकिस्तान किस तरह के हालात का सामना कर रहा है कि अगर भारत के मशहूर कारोबारी रतन टाटा चाहें, तो उसे खरीद सकते हैं!

pakistan flag

जी हां, आंकड़ों को देखा जाए, तो भारत का रतन टाटा का टाटा ग्रुप पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था पर भारी है। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान की जीडीपी फिलहाल 341 अरब डॉलर की है। वहीं, टाटा ग्रुप का मार्केट कैपिटल ही 365 अरब डॉलर पर जा चुका है। यानी टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयर्स की ही इतनी कीमत है, जो पाकिस्तान की मौजूदा जीडीपी से कहीं ज्यादा है। टाटा ग्रुप की कंपनी टीसीएस का ही मार्केट कैपिटल 170 अरब डॉलर के पार है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद टाटा ग्रुप की टीसीएस भारत की दूसरी सबसे बड़ी मार्केट कैपिटल वाली कंपनी है। टाटा ग्रुप की कुल 25 कंपनियां शेयर मार्केट में लिस्टेड है। टाटा ग्रुप नमक से लेकर एयर इंडिया यानी विमान सेवा तक का कारोबार करता है।

pakistan market

पाकिस्तान की हालत ये है कि वो आतंकवादियों को शरण और बढ़ावा देने की वजह से चर्चा में रहता है। वहां आम लोगों को आटा तक नहीं मिलता और आम खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आग लगी हुई है। हाल ही में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए हैं, लेकिन अब तक वहां सरकार का गठन नहीं हो सका है। वहीं, आईएमएफ से जो कर्जा पाकिस्तान ने लिया है, उसे चुकाने का भी कोई रास्ता फिलहाल नहीं दिख रहा। पाकिस्तान के पुराने दोस्त सऊदी अरब और यूएई ने भी लंबे अर्से से उसकी आर्थिक मदद बंद कर दी है। सिर्फ चीन से ही पाकिस्तान को गाहे-बगाहे कुछ पैसा मिलता रहता है।