
नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती को आज उनके जन्मदिन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ 2009 में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, नोएडा में सरकारी खर्चे पर मायावती द्वारा अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां लगवाने और स्मारक बनवाने के मामले में यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता वकील रविकांत ने मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को बीएसपी का चुनाव चिन्ह जब्त करने का आदेश दे तथा जनता के पैसे का जो दुरुपयोग किया गया है उसे वसूला जाए।
याचिकाकर्ता ने सरकारी खजाने से 2600 करोड़ रुपए के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका निपटारा करते हुए कहा है कि यह पुराना मामला है और अगर मूर्तियों को हटाने के लिए कहा गया तो इसमें भी सरकार का ही खर्च बढ़ेगा, इसलिए इस याचिका पर सुनवाई बंद की जाती है।इस याचिका पर शुरुआत के समय हुई सुनवाइयों में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। यूपी सरकार ने दलील दी थी कि स्मारकों के निर्माण को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दी है।
2019 में भी सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने भी इस मामले पर सख्त टिप्पणी की थी। बेंच ने कहा था कि पहली नजर में यही लगता है कि मायावती को इन मूर्तियों पर हुआ खर्च वापस लौटाना चाहिए, हालांकि बाद में यह केस ठंडे बस्ते में चला गया। अब लंबे समय के बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के समक्ष पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को और चलाने की बजाए अब इसका निपटारा कर ही बेहतर होगा और इसी के साथ अदालत ने इसे बंद कर दिया।