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Big Action On Gandhi Family: गांधी परिवार को मोदी सरकार का बड़ा झटका, राजीव गांधी फाउंडेशन के विदेशी चंदा लेने का लाइसेंस कैंसल, सोनिया हैं अध्यक्ष

बीजेपी ने आरोप लगाया था कि साल 2005-2006 में राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से 3 लाख डॉलर (तब करीब 90 लाख रुपए) लिए थे। फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के हवाले से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये आरोप लगाया था। फाउंडेशन पर ये आरोप भी लगा था कि उसके जरिए पीएम रिलीफ फंड का पैसा डायवर्ट किया गया।

नई दिल्ली। बड़ी खबर है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ने गांधी परिवार को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने गांधी परिवार की ओर से संचालित राजीव गांधी फाउंडेशन RGF का विदेशी चंदा लेने का अधिकार खत्म कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक नियमों का उल्लंघन पाए जाने के बाद इस गैर सरकारी संगठन का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। इस कदम के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच नए सिरे से तनातनी के पूरे आसार हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना 21 जून 1991 को हुई थी। ये संगठन शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी के प्रमोशन, दिव्यांगों और गरीबों के लिए काम करता है। दान और इनवेस्टमेंट से इसका खर्च चलता है। सोनिया गांधी इसकी अध्यक्ष हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पी. चिदंबरम इसके ट्रस्ट में हैं।

बीजेपी ने आरोप लगाया था कि साल 2005-2006 में राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से 3 लाख डॉलर (तब करीब 90 लाख रुपए) लिए थे। फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के हवाले से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये आरोप लगाया था। फाउंडेशन पर ये आरोप भी लगा था कि उसके जरिए पीएम रिलीफ फंड का पैसा डायवर्ट किया गया। ये रकम फंड से आरजीएफ को दी गई थी। कई साल पहले फाउंडेशन एक और विवाद में घिरा था। तब आरोप लगा था कि आतंकियों से रिश्ते रखने के आरोपी जाकिर नाइक ने राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपए दिए। फाउंडेशन ने ये रकम लौटा दी थी। बीजेपी ने कहा था कि रकम लौटाकर कांग्रेस बेवकूफ बना रही है। जाकिर नाइक साल 2016 से भगोड़ा है और मलेशिया में रहता है। उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और कट्टरता फैलाने का केस है।

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केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2020 में राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच कराने के आदेश दिए थे। गृह मंत्रालय ने इसके लिए अंतर मंत्रालयी कमेटी बनाई थी। जांच का काम प्रवर्तन निदेशालय ED के स्पेशल डायरेक्टर को दी गई थी। जांच में पता करना था कि दोनों ट्रस्ट ने नियमों का उल्लंघन किया या नहीं। तीनों ट्रस्ट के कर्ताधर्ताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग और इनकम टैक्स के नियमों को तोड़ने का आरोप लगा था।