नई दिल्ली। आजकल जिस किसी भी सूबे में चुनावी डंका बजता है, तो सियासी नुमाइंदे जनता को रिझाने के लिए ‘ओल्ड पेंशन स्कीम’ का बाजा बजाने लगते हैं। कोई कहता है कि हम यह स्कीम लागू करेंगे तो कोई कहता है कि हम करेंगे। मानो जैसे कि यह स्कीम नहीं, बल्कि चुनाव जीतने का कोई मंत्र हो जिसको जपने चुनाव जीता जा सकें। कई राज्यों ने तो अपने यहां इस स्कीम को लागू करने के लिए हाथ पैर मारने भी शुरू कर दिए। जिनमें सभी गैर-बीजेपी शासित राज्य शुमार हैं। वहीं, आज प्लानिंग कमीशन के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ओल्ड पेंशन स्कीम की पैरोकारी करने वालों की ऐसी बैंड बजाई कि जिसे अगर इन पैरोकारों ने सुन लिया तो बेचारे शर्मा ही जाएगा।
बिना किसी भूमिका और लागलपेट के आहलूवालिया ने दो टूक कह दिया कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का विचार एकदम बेतुका है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो देश की आर्थिकी गर्त में जाएगी। वैसे ही हम वर्तमान में आर्थिक मोर्चे पर बेशुमार दुश्वारियों से जूझ रहे हैं। ऐसी सूरत में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का विचार बेतुका ही है। उन्होंने आगे यह कहने से भी कोई गुरेज नहीं किया कि पुरानी पेंशन स्कीम से आर्थिक दिवालियापन होगा। नतीजतन इसका खामियाजा देश को लोगों को भुगतना होगा। इसके साथ ही प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने भी पुरानी पेंशन स्कीम के विचार को आलोचानात्मक बताया। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक मोर्चे के लिहाज इस स्कीम की बहाली करना नुकसानदेह हो सकता है।
Montek Singh Ahluwalia at Book Release event of @gchikermane terms the move by certain opposition ruled state governments to regress to “Old Pension System” as an “absurd idea” and a “recipe for financial bankruptcy” pic.twitter.com/mAQ0Q4QPMM
— Shashi Shekhar Vempati शशि शेखर (@shashidigital) January 6, 2023
ध्यान रहे कि कई राज्यों में पिछले दिनों चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग की गई। दरअसल, ऐसा करने कई राजनीतिक दलों के नुमाइंदे अपने सियासी हितों को साधना चाहते थे। हिमाचल चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जनता को रिझाने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की बात कही थी। वहीं, आम आदमी पार्टी की शासित राज्य पंजाब में गत दिनों पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी।
हालांकि, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब ओल्प पेंशन स्कीम की आलोचना की थी, बल्कि इससे पहले भी उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने सरकार द्वारा इस फैसले को वापस लेने के कदम को गलती करार दिया था। आपको बता दें कि ओपीएस के तहत, केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों की पेंशन अंतिम आहरित मूल वेतन के 50% पर तय की गई थी, जबकि नई पेंशन योजना की नई प्रणाली के तहत, कर्मचारी द्वारा मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10% योगदान शामिल है। सरकार द्वारा योगदान। नई व्यवस्था उन कर्मचारियों के लिए लागू हुई जो 2004 से सेवा में आए थे।