
लखनऊ। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के खिलाफ यूपी में कार्रवाई जारी है। इसके तहत एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने कई शहरों से संगठन के मेंबर्स को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से आपत्तिजनक साहित्य और अन्य संवेदनशील चीजें बरामद होने की खबर है। एटीएस ने मुजफ्फरनगर से इस्लाम, शामली से मौलाना शादाब और मौलाना साजिद, गाजियाबाद से मुफ्ती शहजाद के अलावा वाराणसी से रिजवान और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार किया है। इससे पहले ईडी ने आरोप लगाया था कि पीएफआई का इरादा इस साल 12 जुलाई को बिहार में पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने का था। साथ ही यूपी में दंगे भड़काने और नामचीन लोगों की हत्या के लिए भी पीएफआई ने फंड जुटाया था।
ईडी ने रिमांड मांगते हुए आरोप लगाया है कि पीएफआई ने देशविरोधी गतिविधियों और नामचीन लोगों की हत्या के लिए 120 करोड़ रुपए का फंड भी जुटाया। सरकारी एजेंसियों की आंख में धूल झोंकने के लिए इस फंड का ज्यादातर हिस्सा कैश में जुटाया गया। ईडी का दावा है कि उसे पीएफआई के इस फंड के बारे में सारे सबूत मिले हैं। बता दें कि गुरुवार को ईडी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने 15 राज्यों में पीएफआई के 95 ठिकानों पर छापे मारे थे। इन छापों के बाद इसके अध्यक्ष समेत 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इससे पहले पीएफआई के बारे में बिहार पुलिस ने खुलासा किया था कि कट्टरपंथी संगठन का इरादा साल 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने का है। बिहार पुलिस ने पीएफआई के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया था। इनसे पूछताछ में खुलासा हुआ था कि मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के नाम पर संगठन लगातार युवाओं को कैंपों में बुलाकर हिंसा करने की ट्रेनिंग देता रहा। पीएफआई का नाम दिल्ली में सीएए विरोधी दंगों और अन्य हिंसा की घटनाओं में भी सामने आया था। इसके अलावा कर्नाटक के शिवमोगा में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या में भी उसका सदस्य पकड़ा गया है।