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Bhojshala Matter In Supreme Court: मध्यप्रदेश स्थित भोजशाला के एएसआई सर्वे को रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष, हिंदू पक्ष इसे बताता है देवी सरस्वती का मंदिर

Bhojshala Matter In Supreme Court: धार जिले की सरकारी वेबसाइट कहती है कि भोजशाला को 14वीं सदी में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में बदला था। वेबसाइट के मुताबिक परमार वंश के राजा भोज ने भोजशाला को शिक्षण संस्थान के तौर पर तैयार कराया था।

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे जारी है। पिछले कई दिनों से एएसआई भोजशाला में सर्वे का काम कर रही है। अब मुस्लिम पक्ष भोजशाला के एएसआई सर्वे को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से भोजशाला के एएसआई सर्वे को रोकने संबंधी अर्जी पर सोमवार यानी 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

भोजशाला का एएसआई सर्वे का आदेश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दिया था। इस एएसआई सर्वे से पता लगाया जाएगा कि हिंदू पक्ष की तरफ से इसे जो मंदिर बताया जाता है, वो कहां तक सही है। भोजशाला के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि राजा भोज के समय देवी सरस्वती के लिए ये मंदिर बनाया गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि भोजशाला में देवी सरस्वती की जो मूर्ति थी, वो अब लंदन के म्यूजियम में रखी है। हिंदू पक्ष का ये दावा भी है कि भोजशाला को बाद में मुस्लिम अपना धार्मिक स्थल बताने लगे। हिंदू पक्ष के इन दावों की पड़ताल के लिए ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोजशाला का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया है।

भोजशाला को मुस्लिम कमाल मौला मस्जिद भी बताते हैं। भोजशाला के प्राचीन परिसर के बाहर एक दरगाह भी है। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को पूजा और नमाज की इजाजत काफी पहले से मिली हुई है। हर मंगलवार को हिंदू पक्ष के लोग भोजशाला में सुबह से शाम तक पूजा कर सकते हैं। जबकि, हर शुक्रवार को मुस्लिमों को भोजशाला में नमाज पढ़ने की इजाजत मिली हुई है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भोजशाला संबंधी हिंदू पक्ष का वाद पोषणीय नहीं है। धार जिले की सरकारी वेबसाइट कहती है कि भोजशाला को 14वीं सदी में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में बदला था। वेबसाइट के मुताबिक परमार वंश के राजा भोज ने भोजशाला को शिक्षण संस्थान के तौर पर तैयार कराया था।