नई दिल्ली। गुजरात के जाम नगर में मंगलवार को कुछ संगठनों ने नाथूराम गोडसे की एक प्रतिमा स्थापित की थी। अब इस प्रतिमा को लेकर बवाल हो गया है। नाथूराम गोडसे को 10 फ़रवरी 1949 को फांसी की सजा सुनाई गई थी और 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी। ऐसे में सोमवार 15 नवंबर को कुछ संगठनों द्वारा जामनगर में नाथूराम गोडसे की एक प्रतिमा स्थापित की गई थी। लेकिन इस प्रतिमा को लेकर अब बवाल मच चुका है। कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगा है कि उन्होंने गले में भगवा पट्टा लेकर प्रतिमा स्थल पर पहुंचे और उसे नष्ट कर दिया है।
दरअसल हिन्दू सेना की तरफ से 15 नवंबर को हिन्दू सेना की तरफ से एक प्रतिमा स्थापित की गई। हिंदू सेना ने 8 अगस्त को ही नाथूराम गोडसे की प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा मूर्ति लगाने की जगह ना दिए जाने के बाद, जामनगर के हनुमान आश्रम में ये प्रतिमा स्थापित कर दी गई। इसके अगले ही दिन इस प्रतिमा को कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़ दिया गया। आरोप है कि मंगलवार सुबह सुबह कांग्रेस के नेता आश्रम पहुंचे और उन्होंने गोडसे की प्रतिमा को तोड़ दिया।
प्रतिमा तोड़ने का आरोप जामनगर कांग्रेस के अध्यक्ष दिगुभा जाडेजा और उनके साथियों पर लगाया गया है। प्रतिमा तोड़ने आए कांग्रेस के नेताओं ने अपने गले में भगवा पट्टा डाल रखा था। जिसे हम तस्वीरों में भी देख सकते सकते हैं। वहीं अब इस घटनाक्रम पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है। साथ में ये बात कही गई है कि इस वह हरियाणा की अंबाला सेंट्रल जेल से लाई गई मिट्टी से नाथूराम गोडसे की मूर्ति बनाएगी, जहां 1949 में महात्मा गांधी के हत्यारे को फांसी दी गई थी।
Nathuram Godse’s statue, installed by the Hindu Sena, was vandalised by Congress workers on Tuesday morning in Jamnagar !!
Sauté to those @INCGujarat workers who did it for the nation, Godse is a terrorist who killed Gandhi Ji & we will not allow any attempt to make him hero! pic.twitter.com/xQAOK5lhvM
— Vijay Thottathil (@vijaythottathil) November 16, 2021
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ जयवीर भारद्वाज ने कहा कि “महासभा के कार्यकर्ता पिछले हफ्ते अंबाला जेल से मिट्टी लाए थे, जहां गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी। इस मिट्टी का इस्तेमाल गोडसे और आप्टे की मूर्तियों को बनाने के लिए किया जाएगा और उन्हें ग्वालियर में महासभा के कार्यालय में स्थापित किया जाएगा।”