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NIA Raids PFI Again: दिल्ली-यूपी समेत 8 राज्यों में एनआईए ने फिर मारे कट्टरपंथी पीएफआई के ठिकानों पर छापे, अब तक इतने हिरासत में

कर्नाटक, असम, यूपी, मध्यप्रदेश, दिल्ली समेत 8 राज्यों में एनआईए ने एक बार फिर कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे हैं। इन छापों में अब तक इस संगठन के 170 लोगों को पकड़ा गया है। यूपी में सहारनपुर समेत 8 जिलों में छापेमारी की खबर है। यूपी की राजधानी लखनऊ से भी गिरफ्तारी हुई है।

नई दिल्ली। कर्नाटक, असम, यूपी, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली समेत 8 राज्यों में एनआईए ने एक बार फिर कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे हैं। ताजा छापों में अब तक इस संगठन के 170 लोगों को पकड़ा गया है। यूपी में सहारनपुर समेत 8 जिलों में छापेमारी की खबर है। यूपी की राजधानी लखनऊ से पीएफआई के एक सदस्य को गिरफ्तार किए जाने की भी खबर है। पिछले दिनों ही एनआईए और ईडी ने पीएफआई के 15 राज्यों में ठिकानों पर छापे मारे थे और इसके तमाम बड़े नेताओं समेत 106 लोगों को गिरफ्तार किया था।

NIA

पीएफआई के ठिकानों पर पिछली बार हुई छापेमारी से सनसनीखेज खुलासे हुए थे। एनआईए और ईडी को पता चला था कि इस्लामी संगठन ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने की योजना भी बनाई थी। इसके अलावा मार्शल आर्ट सिखाने के नाम पर संगठन ने कैंप लगाकर युवाओं को बरगलाने और दंगे भड़काने की ट्रेनिंग भी दी थी। पीएफआई के बारे में ये भी जानकारी ईडी को लगी थी कि अबुधाबी के दरबार रेस्तरां से उसने हवाला के जरिए 120 करोड़ रुपए हासिल किए। इस रकम से यूपी के तमाम जिलों में दंगे भड़काने और नामचीन लोगों की हत्या करने का भी इस्लामी संगठन का प्लान था। पीएफआई के बारे में पिछले दिनों ये भी पता चला था कि शिवमोगा में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या में भी उसके स्थानीय नेता का हाथ रहा है।

popular front of india pfi

पीएफआई के दो सदस्य बिहार में पटना के पास से पहले पकड़े गए थे। इन सदस्यों के पास 8 पन्ने का संगठन का डॉक्यूमेंट मिला था। इस डॉक्यूमेंट से खुलासा हुआ था कि पीएफआई साल 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साजिश भी रच रहा है। पीएफआई के बारे में पहले ये खुलासा भी हो चुका है कि दिल्ली में सीएए विरोधी दंगों और अन्य कई घटनाओं में उसका हाथ है। सुरक्षा मामलों के कई जानकार मानते हैं कि पीएफआई को प्रतिबंधित सिमी की जगह लाया गया है। ईडी और एनआईए ने ये दावा भी किया है कि पीएफआई के जरिए युवाओं को लश्कर और जैश-ए मोहम्मद के अलावा आईएसआईएस आतंकी संगठन में भर्ती कराने का भी काम जारी है।