
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने एक साल पहले ही एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से नाता तोड़ लिया था, अब उन्होंने राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के साथ मिलकर एक गठबंधन बना लिया है, जिसे महागठबंधन कहा जाता है। इस नए गठबंधन ने सवाल खड़े कर दिए हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है। स्थिति इस हद तक बढ़ गई कि जद (यू) (जनता दल यूनाइटेड) के भीतर एक प्रमुख व्यक्ति उपेन्द्र कुशवाह ने एक बयान देते हुए पार्टी से नाता तोड़ लिया, जिससे नीतीश कुमार और राजद के बीच एक पूर्व-निर्धारित समझौते का संकेत दिखाई देने लगा है। हर कोई यह सवाल कर रहा है कि क्या वाकई में रजत और नीतीश कुमार के बीच कोई सांठगांठ हुई थी। उनके इस बयान से राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई।
राजद-जद(यू) डील को लेकर इन अटकलों के बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का एक अहम बयान सामने आया है। मंगलवार को इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक बयान दिया जिसमें वाकई वजन था, विशेष रूप से उनके बेटे तेजस्वी यादव को लेकर उन्होंने जो बातें कहीं वह चर्चा के केंद्र में है। लालू प्रसाद यादव ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए राजद और जदयू के बीच कोई समझौता नहीं हुआ था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता की इच्छा है कि तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री की भूमिका निभाएं। ये टिप्पणी लालू प्रसाद यादव द्वारा मंगलवार, 22 अगस्त को एक निजी समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार के जवाब में आई।
लालू प्रसाद यादव का यह बयान कई महीनो में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह लगातार इस बात की पहली कर रहे हैं कि नीतीश कुमार की जगह अब तेजस्वी यादव को बिहार की बागडोर सौंप देनी चाहिए। बिहार में राजनीतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है, क्योंकि गठबंधन बदल रहे हैं और प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ी हितों को साधने में उलझे हुए हैं। लालू प्रसाद यादव के हालिया बयान के साथ मिलकर महागठबंधन का गठन, बिहार की सियासत में एक नए आयाम को जोड़ सकता है। जिससे हो सकता है आने वाले समय में राजनीतिक हलचल और तेज हो जाए।