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Karnataka Muslim Reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का मुस्लिमों को ठेकों में 4 फीसदी रिजर्वेशन देने के फैसले पर लटक सकती है तलवार, जानिए क्या है पेच

Karnataka Muslim Reservation: संविधान की बात करें, तो इसमें एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण देने का प्रावधान है। मोदी सरकार ने इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। ये सभी आरक्षण शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों के लिए हैं। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं भी धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की बात नहीं लिखी है। पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में एक मामला लंबित है।

बेंगलुरु। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण दिया है, लेकिन अगर संवैधानिक प्रावधानों की बात करें, तो कोर्ट में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का ये फैसला टिकना मुश्किल दिखता है। इसकी वजह ये है कि संविधान में धार्मिक आधार पर आरक्षण देने से इनकार किया गया है। देश में फिलहाल नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण दिया जाता है। इन आरक्षण में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। वहीं, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को खत्म किए जाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने मुस्लिम आरक्षण को खत्म किया था।

संविधान की बात करें, तो इसमें एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण देने का प्रावधान है। मोदी सरकार ने इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। ये सभी आरक्षण शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों के लिए हैं। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं भी धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की बात नहीं लिखी है। ऐसे में सरकारी ठेकों में कर्नाटक सरकार की ओर से मुस्लिम समुदाय को जो 4 फीसदी आरक्षण दिया गया, वो संविधान के अनुसार नहीं दिखता। इसी वजह से कोर्ट में अगर कोई कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के फैसले को चुनौती देता है, तो ये रद्द भी हो सकता है।

कर्नाटक में जब बीजेपी की सरकार थी, तब उसने पूर्व की कांग्रेस सरकार की तरफ से मुस्लिमों को शैक्षिक संस्थानों और नौकरियों में 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया था। बीजेपी सरकार के खिलाफ जब लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, तो कर्नाटक की सरकार ने अदालत में कहा कि मुस्लिम समुदाय को दिया गया आरक्षण संविधान के खिलाफ है। वहीं, मुस्लिम समुदाय का ये कहना है कि कर्नाटक सरकार ने आरक्षण खत्म करने पर कोई जानकारी वगैरा इकट्ठा नहीं कराई। सुप्रीम कोर्ट पहले भी धार्मिक आधार पर आरक्षण देने पर रोक लगा चुका है। ऐसे में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का ठेकों में आरक्षण संबंधी ताजा फैसले पर भी तलवार लटकने के आसार हैं।