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Telangana Assembly Election: तेलंगाना में 30 नवंबर को है विधानसभा चुनाव की वोटिंग, 2018 में हजारों लोगों ने दबाया था नोटा का बटन

मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो चुकी है। अब 30 नवंबर को तेलंगाना की 119 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर की शाम तक आ जाएंगे। तेलंगाना गठन के बाद से चंद्रशेखर राव ही यहां के सीएम पद पर हैं।

हैदराबाद। मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो चुकी है। अब 30 नवंबर को तेलंगाना की 119 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर की शाम तक आ जाएंगे। हालांकि, दोपहर तक ही स्थिति साफ हो जाएगी कि किस राज्य में कौन सी पार्टी सरकार बना रही है। तेलंगाना की बात करें, तो साल 2018 में यहां के विधानसभा चुनाव में तब टीआरएस (अब बीआरएस) ने जीत हासिल की थी। तेलंगाना में 2018 में दूसरी बार बीआरएस के नेता के. चंद्रशेखर राव ने सत्ता हासिल की और अपनी पार्टी को 88 सीटों पर जीत दिलाई थी। पिछले चुनाव में तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 7 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने 19 और बीजेपी ने 1 सीट जीती थी। टीडीपी को 2 सीटें हासिल हुई थीं।

voting

 

साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो तेलंगाना में 79.7 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस तरह यहां बड़े पैमाने पर वोटिंग का नजारा देखा गया था। हालांकि, इन वोटों में से तमाम नोटा में भी चले गए थे। चुनाव आयोग ने ईवीएम में नोटा की शुरुआत सितंबर 2013 में की थी। ईवीएम में नोटा का बटन इसलिए दिया गया, ताकि जो लोग किसी भी प्रत्याशी को न चुनना चाहें, वे इसका इस्तेमाल कर सकें। तेलंगाना में इसी नोटा बटन को 2018 में तेलंगाना में 20000 से ज्यादा वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था और किसी भी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं दिया था। सबसे ज्यादा 5864 नोटा के वोट उस वक्त वर्धानपेट सीट पर पड़े थे। वहीं, चेवेला, घानपुर, हुस्नाबाद और खम्मम विधानसभा सीटों में से हर एक पर 3500 से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। देखने में नोटा के 20000 के करीब वोट की संख्या भले कम लगती हो, लेकिन सियासत करने वालों के लिए ये सबक जरूर है कि ऐसे लोग भी हैं, जो उनकी नीतियों को पसंद नहीं करते।

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इस बार तेलंगाना विधानसभा चुनाव की बात करें, तो चंद्रशेखर राव की बीआरएस को कांग्रेस और बीजेपी चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस आरोप लगा रही है की बीआरएस और बीजेपी में अंदरूनी साठगांठ है। वहीं, बीजेपी के नेता चंद्रशेखर राव की सरकार पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे होने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से मुफ्त की योजनाओं का एलान यहां भी किया गया है। ऐसे में सबकी नजर इस पर है कि कांग्रेस और बीजेपी के दोहरे हमले के बीच तीसरी बार तेलंगाना की सत्ता को चंद्रशेखर राव हासिल कर पाते हैं या नहीं।