
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले को लेकर 20 महीना जेल पहुंच गए हैं लेकिन फिर बाद में भी उनकी और आम आदमी पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। घोटाले में घिरी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की मुसीबत कथित ‘जासूसी कांड’ को लेकर भी बढ़ सकती हैं। फीडबैक यूनिट (एफबीयू) की ओर से नेताओं की जासूसी कराए जाने आरोपों पर कांग्रेस पार्टी एनआईए से जांच चाहती है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री मंगत राम और किरण वालिया ने एलजी वीके सक्सेना से यूएपीए के तहत एनआईए से जांच की मांग की है। एलजी ने इसे मुख्य सचिव को भेजते हुए जरूरी सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
आपको बता दें कि इस मामले पर दिल्ली केदिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का रुख बेहद स्पष्ट है, एलजी कार्यालय की तरफ से मंगलवार को जानकारी दी गई है कि कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल, प्रोफेसर किरण वालिया के द्वारा जासूसी कांड की जांच यूएपीए के तहत एनआईए से करवाने की मांग की गई थी। इसपर उपराज्यपाल सचिवालय ने मुख्य सचिव, जीएनसीटीडी को कहा है कि फेसबुक यूनिट द्वारा जासूसी के आरोपों को लेकर जरूरी कार्रवाई करें। दिल्ली के कथित जासूसी कांड में सीबीआई जांच की मंजूरी पहले मिल गई थी।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ समय पहले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए गठित फिडबैक यूनिट (एफबीयू) के जरिए कथित तौर पर नेताओं की जासूसी के मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई को केस दर्ज करने की मंजूरी दी थी। CBI ने क्या कहा था… सीबीआई ने कहा था कि उसने अपनी शुरुआती जांच में यह पाया है कि एफबीयू ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारियां जुटाई हैं। बता दें कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों व स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में कार्रवाई योग्य जानकारी जुटाने के लिए साल 2015 में एफबीयू का गठन किया था। अब एफबीयू पर कथित तौर से जासूसी के आरोप लग जड़ दिए गए है ।