newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Maharashtra: महाराष्ट्र की राजनीति में अब ‘पेड़ा’ की एंट्री, सामना में राज्यपाल कोश्यारी पर वार, लिखा- ‘मैं 4 बार CM रहा, लेकिन एक बार भी…

Maharashtra: ठाकरे के पद से इस्तीफा दिए जाने के अगले दिन ही भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर शिंदे ने राज्य के सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। दोनों को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पद की शपथ दिलाई।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र (Maharashtra) में हाल ही में बड़ा और अनोखा सत्ता परिवर्तन देखने को मिला। शिवसेना के बागी हुए एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने पार्टी विधायकों के साथ ऐसी बाजी खेली की महाराष्ट्र की सत्ता की कुर्सी पर से उद्धव ठाकरे सीधे नीचे जा गिरे। 20 जून के इस पूरे बवाल की शुरुआत हुई थी जो कि 29 जून को ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद जाकर खत्म हुआ। ठाकरे के पद से इस्तीफा दिए जाने के अगले दिन ही भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर शिंदे ने राज्य के सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। दोनों को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पद की शपथ दिलाई।

जब से राज्य के सीएम पद पर शिंदे बैठे हैं तभी से शिवसेना (Shiv Sena) मुखपत्र सामना (Saamana) के जरिए एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde), देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) तो कभी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर वार कर रही है। अब एक बार फिर सामना में राज्यपाल पर शरद पवार (Sharad Pawar) के बयान को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर हमला किया गया है। इसमें कहा गया है कि ‘मैं इतनी बार मुख्यमंत्री (Chief Minister) बना लेकिन उन्हें किसी ने पेड़ा नहीं खिलाया।’

udhhav..

सामना में ये कहा गया कि ‘राज्य में उद्धव ठाकरे सरकार के जाने या सरकार बदलने से हमारे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सबसे ज्यादा खुश हैं। उनके चेहरे की खुशी ऐसी है जैसे की मानो क्रांतिकारी भगत सिंह को लाहौर की सेंट्रल जेल में जब अंग्रेजों ने फांसी दी, उस समय अंग्रेजों को जो खुशी मिली होगी ठीक वैसी। नए मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे को राज्यपाल ने काफी खुशी के उत्साह के साथ बधाई दी। लेकिन जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने, तब उन्हें इस तरह की खुशी नहीं मिली थी।’

eknath shinde and uddhav thakrey

शिवसेना की ‘पेड़ा पॉलिटिक्स’

सामना में पेड़े पर भी राजनीति की गई है। सामना में इसे लेकर कहा गया, ‘राजभवन परिसर में मौजूद पेड़े की दुकान बंद हो गई होगी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार जो कहते हैं, वो बातें मजेदार होने के साथ-साथ ठीक भी हैं। शरद पवार का ये कहना है कि मैं अब तक चार बार मुख्यमंत्री बन चुका हूं, लेकिन राज्यपाल ने एक बार भी मुझे पेड़ा नहीं खिलाया। शरद पवार का ऐसा कहना ठीक ही है क्योंकि राज्यपाल तटस्थ और संविधान के संरक्षक होते हैं। मुख्यमंत्री कौन है या फिर वो किस पार्टी से आए या गए, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन बीते दो-चार सालों में महाराष्ट्र के राजभवन में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिल रही है’।

Bhagat singh Koshiyari

राज्यपाल का है दोहरा रवैया

इसके आगे सामना में कहा गया है, ‘ठाकरे सरकार’ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जब कुछ मंत्रियों ने शपथ की शुरुआत ‘शाहू, फुले और आंबेडकर का नाम लेकर की तो राज्यपाल भगत सिंह नाराज हो गए और उन्होंने ‘ये शपथ संविधान के अनुरूप नहीं है’, वो ऐसा कहते हुए मंच पर ही उन मंत्रियों को फटकार लगाने लगे थे। इसमें संविधान और शपथ की वो रक्षा नजर नहीं आई। संविधान के तथाकथित संरक्षक (राज्यपाल) ही ऐसे दोहरे रवैये का खेल खेल रहे हैं तो लोग अयोग्य विधानसभा सदस्य ही क्या, बाहरी किसी भी ऐरे-गैरों को अंदर लाकर ये लोग विधानमंडल में कोई भी प्रस्ताव और चुनाव में जीत दर्ज कर सकते हैं। केवल मुंह दबाए गए सिरों की ही तो गिनती करनी है। जो व्यवहार देखने को मिल रहा है वो राजनीति महाराष्ट्र में कभी नहीं हुई।

Saamna

दोहराया जाएगा पेड़े खाने का कार्यक्रम

सामना में आगे पेड़े खाने का कार्यक्रम दोहराने की बात कहते हैं कहा गया है कि सवाल अब उन 12 मनोनीत विधान परिषद सदस्यों का है, जो बीते ढाई साल से राज्यपाल की मेज पर विचाराधीन बने हुए है। अब राज्य में नई सरकार (Government) है ऐसे में उस फाइल के बदले नई फाइल लाई जाएगी और चौबीस घंटे के अंदर राज्यपाल (Governor) के हस्ताक्षर के बाद इसे मंजूरी मिल जाएगी और पेड़े खिलाने का कार्यक्रम बार-बार दोहराया जाएगा। समय बहुत ही कठीन हो गया है, ये भी सच है कि यह अंधकार का समय भी बीत जाएगा!’