नई दिल्ली। वन नेशन वन इलेक्शन बिल आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। देश में एक साथ चुनाव कराने संबंधी 2 बिल केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा में पेश करेंगे। एक बिल के जरिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संशोधन किया जाना है। वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी दूसरा बिल केंद्र शासित प्रदेशों में लोकसभा के साथ चुनाव कराने संबंधी होगा। वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी बिल के बारे में जानकारी मिली है कि इसमें नंबर 2 धारा की 5वीं उपधारा में व्यवस्था की गई है कि किसी राज्य के विधानसभा का चुनाव अलग से कराया जा सके। फिलहाल माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस बिल को आमराय बनाने के वास्ते जेपीसी में भेजेगी।
इसके लिए वन नेशन वन इलेक्शन बिल में प्रावधान किया गया है कि चुनाव आयोग किसी राज्य की विधानसभा का चुनाव अलग से कराने संबंधी सिफारिश राष्ट्रपति से करेगा। राष्ट्रपति इस पर आदेश पारित करेंगे और फिर संबंधित राज्य में विधानसभा का चुनाव कराया जा सकेगा। विपक्षी दल इस मुद्दे को भी उठा रहे थे कि अगर किसी राज्य में कार्यकाल से पहले सरकार गिर गई, तो वन नेशन वन इलेक्शन कानून के तहत वहां कैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था रहेगी? ऐसे में अलग से राज्यों में चुनाव कराने के प्रावधान से उनकी इस चिंता को खत्म करने की कोशिश की गई है।
वन नेशन वन इलेक्शन बिल के जरिए संविधान में 82ए का नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अनुच्छेद 83 यानी संसद के सदनों का कार्यकाल, अनुच्छेद 172 यानी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल और अनुच्छेद 327 यानी निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन में भी बदलाव किया जाना है। वन नेशन वन इलेक्शन पर सुझाव देने के लिए मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने मार्च 2024 में रिपोर्ट के जरिए अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपी थी। सिफारिशों को मोदी कैबिनेट ने स्वीकार भी कर लिया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में कहा था कि देश का खर्च बचाने के लिए और गुड गवर्नेंस की खातिर वन नेशन वन इलेक्शन होना चाहिए। साल 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर भी पीएम मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन की बात कही थी। फिर 12 दिसंबर 2024 को मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मंजूरी दी थी।