नई दिल्ली। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI पर बैन लगाने के मसले पर सियासत जारी है। विपक्ष इस मामले में सरकार का साथ देने की जगह सवाल उठा रहा है। यहां तक कि पीएफआई के बहाने विपक्ष के तमाम नेता हिंदूवादी संगठनों पर भी निशाना साध रहे हैं। ताजा बयान कांग्रेस के बड़े नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ और सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी का आया है। दोनों नेताओं ने अपने अंदाज में पीएफआई पर बैन का विरोध किया है। पहले आपको बताते हैं कि कमलनाथ ने क्या कहा। कमलनाथ ने मीडिया से बातचीत के दौरान पीएफआई पर बैन लगाने के कदम पर ही सवाल खड़े कर दिए। कमलनाथ ने कहा कि इतने साल से ये संगठन है, पहले इस पर बैन क्यों नहीं लगाया गया। कमलनाथ ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार इस संगठन के आतंकी संगठनों से रिश्तों पर सबूत भी दे।
Political Reactions On #PFIBan:
Congress leader #KamalNath says, “If Centre has proof, they should produce it. Evidence should not be fake.” CPIM leader @SitaramYechury says ban is not a solution.#PFICrackdown pic.twitter.com/sI9eAkXxAk
— Mirror Now (@MirrorNow) September 28, 2022
वहीं, सीताराम येचुरी ने बैन का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को राजनीतिक तरीकों से ऐसे संगठनों से निपटना चाहिए। येचुरी ने सीपीआई-माओवादी नाम के नक्सली संगठन का नाम लेते हुए कहा कि इस पर भी बैन है। बावजूद इसके सीपीआई-माओवादी के नक्सलियों और केंद्रीय बलों के बीच आज भी मुठभेड़ होती रहती है। येचुरी ने बैन को बेकार बताया है। इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप कोडिकुनील सुरेश ने पीएफआई पर बैन के बारे में प्रतिक्रिया में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS भी देशभर में हिंदू संप्रदायवाद फैला रहा है। ऐसे में आरएसएस पर भी बन लगना चाहिए। सुरेश ने पीएफआई और आरएसएस को एक जैसा भी बताया था।
Kerala | We demand for RSS also to get banned. #PFIban is not a remedy, RSS is also spreading Hindu communalism throughout the country. Both RSS & PFI are equal, so govt should ban both. Why only PFI?: Kodikunnil Suresh, Congress MP & Lok Sabha Chief Whip, in Malappuram pic.twitter.com/nzCVTImWw4
— ANI (@ANI) September 28, 2022
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी पीएफआई पर बैन की मुखालिफत की है। बर्क ने तो ये तक कहा कि पीएफआई मुसलमानों के हितों की बात करती है। इस वजह से उस पर बैन लगाया गया है।
#PFI पर बैन का #SP सांसद #ShafiqurRahmanBarq ने किया विरोध, बोले- ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया मुस्लिमों की हितैषी इसलिए बैन लगा’@spbhattacharya @Adarshpara #PFIBan #PFIBanned #PFICrackdown pic.twitter.com/wpCYtRiTMi
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) September 28, 2022
दूसरी तरफ एआईएमआईएम AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी पीएफआई पर बैन का विरोध किया। ओवैसी ने भी इसमें हिंदू-मुस्लिम एंगल तलाशते हुए बयान दिया कि पीएफआई पर बैन लग गया, लेकिन खाजा अजमेरी बम धमाकों के दोषियों से जिन संगठनों का संबंध मिला, उनपर बैन क्यों नहीं लगा? ओवैसी ने पूछा कि आखिर सरकार दक्षिणपंथी बहुमत वाले समूह के संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती?
How come PFI is banned but organisations associated with convicts of Khaja Ajmeri bomb blasts aren’t? Why has govt not banned right wing majoritarian organisations?
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 28, 2022
कुल मिलाकर पीएफआई के बैन के बाद जहां सरकार के मंत्री और बीजेपी के नेता स्वागत कर रहे हैं। वहीं, विपक्ष के नेता इस बैन को गलत देख रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में पीएफआई बैन पर सियासत और गरमाने के आसार हैं। इस साल के अंत से लेकर अगले साल कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी हैं। फिलहाल लग रहा है कि इन चुनावों से पहले और उस दौरान विपक्ष और बीजेपी के बीच पीएफआई जैसे संगठनों के मसले पर बयानों की जंग और तेज हो सकती है।