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Mormugao: धरा के बाद अब समुद्र में भी बजेगा भारत का डंका, थर्र-थर्र कांपेंगे दुश्मन, भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ ‘मोरमुगाओ’

Indian Navy: धरा के अलावा समुद्र में भी चीन अपनी निर्धारित सीमाओं को अतिक्रमण भारत के खिलाफ करता है। चीनी नौसैनिक हिंद महासागर में भी भारत के खिलाफ अपनी साजिशों को अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है। चीन की तरफ से कई बार ऐसी कोशिशें की जा चुकी हैं। जिसे देखते हुए अब भारतीय नौसेना ने बड़ा कदम उठाया है।

नई दिल्ली। ऐसी परिस्थिति में जहां एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने पर आमादा है। बीते दिनों ही अरूणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इस झड़प के बहाने चीन ने गलवान पार्ट-2 दोहराने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसके नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। भारतीय सैनिकों ने चीन के 300 सैनिकों को खदेड़ दिया था। इस झड़प मे चीन के 30 तो भारत के 4 सैनिक घायल हो गए थे। खुद भारतीय सेना ने चीन को अधिक नुकसान होने की पुष्टि की थी। बाद में चीन ने प्रतिक्रिया जारी कर कहा कि स्थिति स्थिर है, लेकिन चीन द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद भारत अब एक्शन मोड में आ चुका है। ध्यान रहे, धरा के अलावा समुद्र में भी चीन अपनी निर्धारित सीमाओं का अतिक्रमण भारत के खिलाफ करता है। चीनी नौसैनिक हिंद महासागर में भी भारत के खिलाफ अपनी साजिशों को अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है। चीन की तरफ से कई बार ऐसी कोशिशें की जा चुकी हैं। जिसे देखते हुए अब भारतीय नौसेना ने बड़ा कदम उठाया है।

बता दें, भारतीय नौसेना के बेड़े में आधुनिक हथियारों से लैस मोरमुगाओ युद्धपोत को शामिल किया गया है। इस युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने के बाद अब भारत की मारक क्षमता में अभूतपूर्व इजाफा दर्ज किया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इस युद्धपोत को शामिल किया गया है। हिंद महासागर में चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविदिधियों को ध्यान में इस युद्धपोत के शामिल करने को उपयोगी मानी जा रही है।

इस युद्धपोत के शामिल होने के बाद से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा हुआ है। इस युद्धपोत को भारतीय संगठन ने तैयार किया है। इस युद्धपोत में इस्तेमाल हुआ 70 फीसद उपकरण स्वदेशी है। उधर, आत्मनिर्भर भारत के लिहाज से भी इस युद्धपोत को काफी उपयोगी माना जा रहा है। इस पोत की लंबाई 175 मीटर, वजह 7400 टन है। यह समुद्र में 48 मीली तक दूरी को पलक झपकते ही पकड़ सकता है। यह युद्धपोत दुश्मन के रडार को भी पकड़ सकता है। यह युद्धपोत आणविक और रासायनिक युद्ध में भी काफी कारगर साबित हो सकता है।

इसके अलावा इस विमानवाहक युद्धपोत के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि यह भारतीय नौसेना के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। वो भी ऐसी स्थिति में जब चीन और भारत की तरफ से लगातार भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने की कोशिश की जा रही है।