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Pegasus Row: इजरायली स्पाईवेयर पेगासस से निगरानी का आरोप कितना सही, अब पता चलने वाली है हकीकत

इस साल अगस्त में दुनियाभर के तमाम मीडिया संगठनों ने मिलकर खबर छापी थी कि किन-किन देशों में सरकारों ने किसकी नजरदारी पेगासस से की है। भारत के लिए लिखा गया था कि यहां भी तमाम नेताओं, मंत्रियों और पत्रकारों की नजरदारी के लिए उनके फोन में खुफिया एजेंसियों ने पेगासस को चुपचाप लोड किया।

नई दिल्ली। पेगासस नाम के इजरायली स्पाईवेयर से फोन की जासूसी कराने के आरोपों में हकीकत सामने आने वाली है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने सभी याचिकाकर्ताओं से उनके फोन मांगे हैं। इन फोन की जांच के बाद पता चलेगा कि उसमें पेगासस लोड किया गया था या नहीं। बता दें कि इस साल अगस्त में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस से फोन की जासूसी कराने का आरोप मोदी सरकार पर लगा था। संसद में जमकर हंगामा हुआ था। सरकार ने हालांकि कहा था कि उसने गलत तरीके से जासूसी नहीं कराई। सरकार के इस बयान से नाराज कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट भी गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार से जवाब मांगा था। सरकार के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की छानबीन के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अब याचिकाकर्ताओं को ई-मेल भेजकर अपने फोन जमा कराने के लिए कहा है। फोन कहां जमा कराना है, इसकी जानकारी ई-मेल में नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में फोन जमा कराने का स्थान भी याचिकाकर्ताओं को बता दिया जाएगा।

PEGASUS

दरअसल, इस साल अगस्त में दुनियाभर के तमाम मीडिया संगठनों ने मिलकर खबर छापी थी कि किन-किन देशों में सरकारों ने किसकी नजरदारी पेगासस से की है। भारत के लिए लिखा गया था कि यहां भी तमाम नेताओं, मंत्रियों और पत्रकारों की नजरदारी के लिए उनके फोन में खुफिया एजेंसियों ने पेगासस को चुपचाप लोड किया। इन नेताओं में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और मौजूदा आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के भी नाम थे।

supreme court

आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के दोनों सदनों में हंगामा होते देखकर बयान दिया था कि सरकार ने गलत तरीके से किसी की नजरदारी नहीं कराई। इसके बाद भी विपक्ष हंगामा करता रहा। कई विपक्षी नेता और पत्रकार इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चले गए और वहां जांच की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा, लेकिन जवाब से वो संतुष्ट नहीं हुआ। जिसके  बाद कोर्ट ने विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर हकीकत सामने लाने का फैसला किया था।