नई दिल्ली। पिछले दिनों 15 राज्यों में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के कर्ताधर्ताओं के यहां पड़े छापों से पता चला था कि संगठन ने 120 करोड़ रुपए का फंड जुटाया है। ये फंड यूपी समेत कई राज्यों में नामचीन लोगों पर हमले और दंगा भड़काने के लिए जुटाने की बात भी सामने आई थी। पीएफआई के लोग दावा कर रहे थे कि ये सारी रकम भारत से ही उसे लोगों ने दी, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ED ने कोर्ट में दावा किया है कि खाड़ी के अबुधाबी के एक रेस्तरां के जरिए हवाला कारोबार किया गया और उससे पीएफआई को ये रकम मिली है।
पीएफआई के संगठन के गिरफ्तार नेता अब्दुल रजाक बीपी के रिमांड नोटिस में ये बात ईडी ने कही है। ईडी के मुताबिक अब्दुल रजाक का भाई अबुधाबी में ‘दरबार रेस्तरां’ चलाता है। वहीं से हवाला के जरिए सारी रकम पीएफआई के पास आई। पीएफआई ने फर्जी रसीदें काटकर दिखाया कि ये रकम भारत के लोगों ने उसे दी है। ईडी के मुताबिक रजाक ने तमार इंडिया स्पाइसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी भी बना रखी है। उस कंपनी के जरिए भी पीएफआई को हवाला से रकम मिली। पीएफआई का एक और नेता शफीक पायेथ खाड़ी देशों में ‘गल्फ तेजस’ अखबार में 2018 तक काम करता रहा। इस अखबार को भारत में ‘तेजस’ के नाम से इंटरमीडिया पब्लिशिंग लिमिटेड छापता है। इस कंपनी में अब्दुल रजाक डायरेक्टर भी रह चुका है।
ईडी ने कोर्ट को बताया है कि पीएफआई के लिए रकम जुटाने का मुख्य काम अशरफ एमके करता है। वो केरल में पीएफआई की राज्य कार्यकारी काउंसिल का सदस्य है। एर्नाकुलम के निवासी अशरफ पर साल 2010 में ईसाई प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट डालने का भी आरोप लगा था। अशरफ के बारे में ईडी को ये भी पता चला है कि अबुधाबी में चलाए जा रहे दरबार रेस्तरां का वो मालिक भी रहा है। अशरफ ने अपनी ये पहचान छिपाकर अब्दुल रजाक को ही हमेशा आगे रखा।