newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Umesh Pal Case: उमेश पाल मर्डर केस में सपा और बीजेपी के बीच फोटो की जंग, हत्या का आरोपी दोनों दलों के नेताओं के साथ

Umesh Pal Case: इस पूरे मामले की शुरुआत होती है साल 2005 में। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बसपा विधायक और अतीक अहमद पहले दोस्त हुआ करते थे। लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि ये दोस्ती आगे चलकर दुश्मनी में तब्दील हो गई।

नई दिल्ली। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह रहे उमेश पाल की सरेआम हुई गोलियों से भूनकर हत्या ने उत्तर प्रदेश की राजनीति भूचाल ला दिया है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ चुकी है। योगी सरकार ने मामले में शामिल आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने का आश्वासन दिया है। गत दिनों विधानसभा में इस मामले को लेकर सीएम योगी का रौद्र रूप भी दिखा था। जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हड़काते हुए प्रदेश में माफियाओं को पल्लवित और पुष्पित करने का आरोप पूर्व की सपा सरकार पर लगाया था। सीएम योगी के रौद्र रूप का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि बाद में सीएम अखिलेश यादव एक शब्द भी अपनी जुबां से बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सकें।

उमेश पाल हत्याकांड में शामिल सदाकत खान को पुलिस गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज चुकी है। उधर, अन्य आरोपी अरबाज को बीते सोमवार को पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर चुकी है। मुमकिन है कि आगामी दिनों सलाखों के पीछे कैद आरोपी सदाकत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ध्यान रहे कि मामले में शामिल दोनों ही आरोपी अतीक अहमद के करीबी हैं। वहीं अब सदाकत खान को लेकर एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने एक बार फिर से प्रदेश में राजनीतिक पारा गरम कर दिया है। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

umesh pal murder accused sadaqat with akhilesh yadav

दरअसल, उमेश पाल हत्याकांड में शामिल आरोपी सदाकत की तस्वीर अखिलेश यादव के साथ प्रकाश में आई है, जिसे लेकर बीजेपी सपा पर हमलावर हो चुकी है। सपा दोनों के बीच का कनेक्शन पूछ रही है। उधर, अखिलेश यादव ने सफाई देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यह सोशल मीडिया का युग है। ऐसे में किसी के साथ किसी की भी तस्वीर वायरल हो सकती है। ऐसे में इसे ज्यादा तूल देना उचित नहीं रहेगा। इसके अलावा अभी इस तस्वीर को लेकर प्रदेश में राजनीति बवाल खत्म भी नहीं हुआ था कि मामले से जुड़ी दूसरी तस्वीर को लेकर भी घमासान छिड़ गया। आइए इसके बारे में भी जानते हैं।

जी हां…आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने मामले में आरोपी सदाकत खान की तस्वीर बीजेपी विधायिका नीलम करवरिया के पति उदयभान करवरिया के साथ साझा की है। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद अब सपा बीजेपी पर हमलावर हो गई। वहीं सपा ने ट्वीट कर कहा कि सदाकत वर्तमान में BJP का सदस्य था जिसकी फोटो सपा के साथ जोड़ी जा रही BJP की पूर्व विधायिका नीलम करवरिया के घर पर नीलम के पति उदयभान करवरिया के साथ सदाकत की फोटो BJP के साथ इस घटनाक्रम का कनेक्शन बताती हैं इससे पहले भी एक BJP नेता राहिल इस केस का मास्टरमाइंड पकड़ा जा चुका है।

इस तरह से पूरे मामले में दोनों ही दलों के बीच फोटो पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। उधर, बीजेपी की तरफ से मंत्री सिद्धाथनाथ सिंह ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने सपा को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि आप कहते हैं कि संरक्षण नहीं दिया। और अब ये खुलासे हो रहे हैं। यही आपकी तकलीफ है। जब सीएम ने कहा कि मिट्टी में मिला देंगे, तो आपको बड़ी तकलीफ हुई थी। बहरहाल ,अभी इस पूरे मसले को लेकर दोनों ही दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। दोनों ही दलों की ओर से जुबानी तीर चलाए जा रहे हैं। प्रदेश की राजनीति भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। हालांकि, पुलिस मामले की जांच जारी है। ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। क्या कुछ सच्चाई निकलकर सामने आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन आइए उससे पहले आपको यह पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

UMESHPAL1

इस पूरे मामले की शुरुआत होती है साल 2005 में। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बसपा विधायक राजू पाल और अतीक अहमद पहले दोस्त हुआ करते थे। लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि ये दोस्ती आगे चलकर दुश्मनी में तब्दील हो गई। दरअसल, बसपा नेता राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था, जो कि अतीक को नागवार गुजरी। उसे जैसे ही इस बारे में पता लगा कि राजू पाल ने उसके खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, तो उसके तन बदन में आग लग गई। वहीं, चुनाव में राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई को हार का स्वाद भी चखा दिया, जिसके बाद अतीक ने राजू को सबक सिखाने का मन बना लिया।

इसके बाद अतीक के गुर्गों ने राजू को मौत के घाट उतार ही दिया। उन दिनों अतीक का खौफ इस कदर था कि जिस किसी भी सीट से वो चुनाव लड़ने का ऐलान कर देता था, वहां से कोई दूसरा चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। तत्कालीन सरकारें भी उसके दहशत के आगे घुटने टेकने पर मजबूर रहा करती थी। वहीं, इस बीच राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाव उमेश पाल था। इस मामले की जल्द ही सुनवाई होने वाली थी। पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही फैसला आ जाएगा। लेकिन, अफसोस इससे पहले कि विधिक कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाता कि मामले में मुख्य गवाह उमेश को मौत के घाट उतार दिया गया, जिसे लेकर वर्तमान में सपा और बीजेपी के बीच राजनीतिक संग्राम जारी है। वहीं, अब पूरे मामले में फोटो पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है।