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UP: CM योगी की दिमागी बुखार के खिलाफ मुहिम रंग लाई, PM मोदी ने ऐसे की मुख्यमंत्री की सराहना

Uttar Pradesh: पीएम मोदी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। भारत के संसद में भी इसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बच्चों की स्थिति को देखते हुए रो पड़े थे।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने जिस तरह से दिमागी बुखार के खिलाफ मुहिम चलाई उसकी जमकर तारीफ हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कहर बन चुकी जापानी इंसेफेलाइटिस व एक्यूट इंसेफेलाइटिस को जड़ से समाप्त करने की बड़ी मुहिम छेड़ी है। सीएम योगी की इस मुहिम को लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जमकर तारीफ की है।

हजारों मासूमों की कातिल इंसेफेलाइिटस अब समाप्ति की ओर

पीएम मोदी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। भारत के संसद में भी इसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बच्चों की स्थिति को देखते हुए रो पड़े थे। लेकिन जब से वह मुख्यमंत्री बने तब से उन्होंने ध्यानकेंद्रित करते हुए काम किया। आज हमें बहुत आशा के अनुरूप परिणाम मिल रहे है। हमने दिमागी बुखार को रोकने पर जोर दिया। इलाज की सुविधा बढ़ाई। तो अब इसका असर भी दिख रहा है। पीएम मोदी ने मंगलवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए ये बातें कही।

राज्यपाल भी कर चुकी हैं सराहना

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी राज्य विधान मंडल के अपने अभिभाषण में इस मुद्दे पर योगी सरकार की तारीफ कर चुकी हैं। उनके मुताबिक एक्यूट इंसेफेलाइिटस रोगियों की संख्या 2016 से 2020 के दौरान 3911 से घटकर 1624 पर आ गयी। इससे होने वाली मौतों की संख्या 641 से घटकर मात्र 79 रह गयी। वर्ष 2016 में जापानी इंसेफेलाइिटस और एक्यूट इंसेफेलाइिटस से क्रमश: 9 एवं 95 बच्चों की मौत हुई थी। 2020 में रोगियों और मृतकों की संख्या क्रमश: 95 और 9 रही।

CM Yogi Adityanath

कैसे हुआ यह चमत्कार

यह चमत्कार यूं ही नहीं हो गया। विभिन्न विभागों के सामूहिक प्रयास, स्वच्छता अभियान और प्राथमिक एवं सामूहिक स्वास्थ्य केंद्रों की बुनियादी संरचना को मजबूत करने के नतीजे से ऐसा हो सका। सरकार ने रोग के लिहाज से संवेदनशील जिलों के क्षेत्रों में पीडित बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए 16 पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू), 15 मिनी पिकू और 177 इंसेफेलाइिटस उपचार केंद्र स्थापित किये। इस सबका नतीजा रहा कि आज इंसेफेलाइिटस समाप्त होने के कगार पर है।

2017 के पहले के हालात

इंसेफेलाइटिस, पूर्वांचल के हजारों मासूमों की कातिल है। जितने बच्चे इससे मरते थे, उससे करीब दोगुना शारीरिक और मानिसक रूप से विकलांग होते थे। विकलांगता मतलब ताउम्र परिवार के लिए बोझ। हर साल जून से नवंबर गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड का मंजर बेहद डरावना होता था। रोग के पीक सीजन में एक बेड पर दो-दो बच्चे। इसके बाद बच्चे हुए बच्चों को वार्ड के फर्श पर जगह मिलती थी। ये हालात तब थे जब संसद के हर सत्र में गोरखपुर के सांसद के रूप में संसद के हर सत्र में पुरजोर तरीके से इस मुद्दे को उठाते थे। सीजन में मासूमों के बेहतर इलाज के लिए डीएम कार्यालय पर धरना आम था। जून-जुलाई की उमस भरी गर्मी में हजारों की संख्या में योगी की अगुआई में लोग मेडिकल कॉलेज से कमिश्नर कार्यालय तक जुलूस निकालते थे। मेडिकल कॉलेज के कितने दौरे किये, इसकी कोई गिनती ही नहीं।

Acute Encephalitis Syndrome

योगी के सीएम बनने के बाद बदल गये हालात

बतौर सांसद रहते हुए इंसेफेलाइटिस के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष करने वाले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही हालात बदलने लगे। चार साल में तो मानो चमत्कार हो गया। आंकड़े इसके सबूत हैं। 2017 की तुलना में वर्ष 2020 में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या में 90 फीसद की कमीं आई है।