नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में श्वेत पत्र पेश किया। इस श्वेत पत्र में 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन और फिर 10 साल तक के मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का लेखा-जोखा है। इस श्वेत पत्र को पेश करते वक्त वित्त मंत्री ने कांग्रेस की पिछली सरकार पर आरोप लगाया कि उसके दौर में घोटाले ही घोटाले हो रहे थे और देश की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई थी। इस श्वेत पत्र को कांग्रेस मोदी सरकार के आंकड़ों को गलत बताने का जरिया कह रही है। ये भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मोदी सरकार पहले ही ये श्वेत पत्र क्यों नहीं लाई? पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सवाल का जवाब शुक्रवार को अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक टाइम्स के एक कार्यक्रम में दिया।
पीएम मोदी ने अखबार के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया कि श्वेत पत्र को वो पहले भी ला सकते थे और इससे राजनीतिक स्वार्थ साध भी सकते थे। फिर भी वो तब इसे नहीं लाए। मोदी ने बताया कि इसकी वजह ये थी कि जब उन्होंने पीएम पद संभाला, तो हालात की जानकारी मिलने पर चौंक गए। उनको लगा कि अगर इस वक्त खराब वित्तीय स्थिति के आंकड़े देश के सामने रखे और एक भी गलत संकेत चला गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने इसे ध्यान में रखा और राजनीति पर राष्ट्रनीति को तरजीह दी। सुनिए मोदी ने श्वेत पत्र अब लाने पर क्या बयान दिया।
‘Rashtraneeti’ over ‘Rajneeti.’ @ETNOW_GBS #GBS2024 pic.twitter.com/1sPRtH9nmm
— Narendra Modi (@narendramodi) February 10, 2024
श्वेत पत्र में मोदी सरकार ने कांग्रेस की यूपीए सरकार और अपने दौर में भारत की वित्तीय स्थिति की तुलना की है। मोदी सरकार ने जो श्वेत पत्र संसद में पेश किया है, उसमें बताया गया है कि किस तरह यूपीए सरकार के दौरान वित्तीय स्थिति खराब थी और बैंकिंग सिस्टम भी ध्वस्त होने के कगार पर था। अपनी सरकार के दौरान इस खराब हालत को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मोदी सरकार ने देश के सामने रखी है। अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में ये मुद्दा गरमाया हुआ है। कांग्रेस ने इस श्वेत पत्र के विरोध में ब्लैक पेपर जारी कर मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस के इस ब्लैक पेपर पर पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही संसद में कह चुके हैं कि ये सरकार के अच्छे काम पर उसी तरह का काला टीका है, जैसा बच्चों को नजर से बचाने के लिए लगाया जाता है।