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Punjab: पंजाब कांग्रेस में सियासी सरगर्मियां तेज, राहुल-प्रियंका से सिद्धू ने की बात, हो रही हैं अब ऐसी चर्चाएं

सिद्धू के रिहा होने पर पंजाब की कांग्रेस इकाई की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी, जिससे यह स्पष्ट है कि सिद्धू को कांग्रेस में अपनी जड़े जमाने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी। बता दें कि सिद्धू कांग्रेस का अध्यक्ष का पदभार भी संभाल चुके हैं। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री पद भी दिया जा चुका है। लेकिन कैप्टन के साथ सिद्धू के विवाद जगजाहिर है।

नई दिल्ली। रोडरेज मामले में दो साल सजा काटकर आए नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से फोन पर बात की है। सिद्धू पंजाब के दिग्गज नेताओं की फेहरिस्त में शुमार हैं, लेकिन बीते दिनों पंजाब में हुई वर्चस्व की जंग में वो खुद को साबित नहीं कर पाए थे और इसके बाद रोडरेज मामले में कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा सुना दी। जिसके बाद पंजाब की सियासी जमीन से उनके ताल्लुकात ही खत्म हो गए। इसकी बानगी हमें तभी देखने को मिली, जब सिद्धू जेल में बंद थे। जेल में रहने के दौरान ना ही किसी कांग्रेस नेता ने उनकी सुध ली और ना और उनसे मिलने जेल पहुंचे। जिससे जाहिर है कि सिद्धू को अब पंजाब की राजनीति में अपनी जड़े जमाने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी।

navjot singh sidhu

इसी कड़ी में आज उन्होंने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से फोन पर बात की। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच फोन पर क्या बातचीत हुई। यह अभी सार्वजनिक नहीं हो पाया है। ध्यान दें कि राहुल मोदी सरनेम मामले में आज अदालत में भी पेश हुए थे। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि दोनों के बीच फुर्सत से किसी मसले पर बात हुई होगी। बता दें कि बीते दिनों पटियाला जेल से बाहर निकलने के दौरान सिद्धू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को क्रांतिकारी बताया था और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। जिससे यह साफ जाहिर हो गया था कि वो पंजाब में अपने सियासी धुर-विरोधियों के खिलाफ आगामी दिनों में आक्रमक मुद्रा में नजर आएंगे।

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उधर, सिद्धू के रिहा होने पर पंजाब की कांग्रेस इकाई की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी, जिससे यह स्पष्ट है कि सिद्धू को कांग्रेस में अपनी जड़े जमाने के लिए नए सिरे से मेहनत करनी होगी। बता दें कि सिद्धू कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं। लेकिन कैप्टन के साथ सिद्धू के विवाद जगजाहिर हैं। विदित हो कि पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कैप्टन के कामकाज पर सवाल उठाए थे।  इसके बाद दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया कि दिल्ली से गांधी परिवार को दखल देना पड़ा, लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि सिद्धू गांधी परिवार के करीबी हैं। वहीं, कैप्टन ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की पार्टी पंजाब लोकदल का गठन किया था। लेकिन, बाद में उन्होंने अपने दल का विलय बीजेपी में करा लिया था। हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि कैप्टन और बीजेपी के बीच काफी पहले से ही नजदीकियां थीं। जिसके बाद उन्होंने बीजेपी में अपने दल का विलय कराकर इन नजदीकियों पर मुहर लगा दी थी।

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वहीं, सिद्धू की नाराजगी संगठन के प्रति उस वक्त अपने चरम पर पहुंच गई जब कैप्टन के इस्तीफे के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब की कमान सौंप दी गई थी। दरअसल, सिद्धू ने पंजाब के सीएम कुर्सी पर विराजमान होने की मुराद अपने पाली हुई थी, लेकिन अफसोस उनकी यह मुराद पूरी नहीं हो पाई। इतना ही नहीं, पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी सिद्धू को सीएम कैंडिडेट नहीं बनाया गया था। दरअसल, कांग्रेस ने चन्नी को सीएम कैंडिडेट बनाकर दलित वोटरों को साधने की कोशिश की थी। जिसकी वजह से सिद्धू की मुराद चुनाव के दौरान भी पूरी नहीं हो पाई और इसके कुछ दिनों बाद उन्हें तीन दशक पुराने रोडरेज मामल में एक साल की सजा सुना दी गई। जिसके बाद कांग्रेस की सियासी जमीन से रिश्ता टूट गया। हालांकि, जानकारों का कहना है कि जेल में रहने के दौरान सिद्धू  पंजाब की राजनीति से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर की जानकारी लेते रहे।