नई दिल्ली। व्यासजी तहखाने में हिंदू पक्ष को मिले पूजा के अधिकार के विरोध में अंजुमन इंतजामिया ने वाराणसी जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मुस्लिम पक्ष को यहां से भी कोई राहत नहीं मिली। बता दें कि मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए अंजुमन इंतजामिया ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें गत 31 जनवरी को कोर्ट द्वारा हिंदू पक्ष को मिले पूजा के अधिकार पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन आज HC ने सुनवाई के दौरान इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। बता दें कि इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला अदालत के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था, लेकिन कोर्ट ने दो टूक कह दिया था कि आप डायरेक्ट हमारे पास नहीं आ सकते हैं। आपको पहले नियमों के अनरूप हाईकोर्ट जाना होगा। लिहाजा आज मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट का रूख किया, तो परिणामस्वरूप निराशा ही हाथ लगी।
Gyanvapi Case: Allahabad High Court refuses to stay Puja order. #Gyanvapi #GyanvapiASIReport #AllahabadHighCourt #GyanvapiCase pic.twitter.com/dqlBAwncuH
— Neha Bisht (@neha_bisht12) February 2, 2024
ध्यान दें, जब से ज्ञानवापी मामला सतह पर आया है, तभी से मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया जा रहा है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या होता है?, तो आपको बता दें कि प्लेसस ऑफ वर्शिप पूर्व की संप्रग सरकार द्वारा लाया गया था। दरअसल, इस कानून के अंतर्गत, आजादी के बाद किसी भी धार्मिक स्थल में किसी भी प्रकार के फेरबदल की मनाही है। वहीं, अब ज्ञानवापी मामले में जिस तरह से हिंदू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि ज्ञानवापी इतिहास में एक शिव मंदिर था, जिसे बाद में ध्वस्त करके मस्जिद का रूप दे दिया गया था। यही नहीं, बीते दिनों इस संदर्भ में एएसआई की भी रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कई ऐसे साक्ष्य मिले थे, जिससे यह साफ प्रमाणित होता है कि वहां मस्जिद नहीं, बल्कि मंदिर था।
The Gyanvapi Case has been a setback not only for the 20 crore Muslims of this country but also to all the people who believe in secularism and the Constitution, be they from any religion…: AIMPLB holds press conference- WATCH pic.twitter.com/XJKr0PGoWN
— TIMES NOW (@TimesNow) February 2, 2024
उधर, जब इस पूरे मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया जा रहा है, तो ऐसे में हिंदू पक्ष का स्पष्ट कहना है कि अब यह कानून मौजूदा स्थिति में पोषणीय नहीं रह जाती है। वहीं, अब हाईकोर्ट आगामी 6 फरवरी को इस पूरे मामले पर सुनवाई करेगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इस पूरे मामले में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।