बांदीपोरा। जम्मू-कश्मीर में चौकस सुरक्षाबलों की वजह से पुलवामा जैसी बड़ी आतंकी घटना नहीं हो सकी। आतंकियों ने बांदीपोरा-सोपोर मार्ग पर 18 किलो बारूद की आईईडी लगाई थी। इस आईईडी से सुरक्षाबलों और आम लोगों को निशाना बनाने की उनकी साजिश थी। वक्त रहते सुरक्षाबलों ने इस आईईडी का पता लगा लिया। जिसके बाद इसे निष्क्रिय कर दिया गया। बता दें कि पिछले काफी समय से कश्मीर घाटी में आतंकवाद फिर से तेज करने की साजिश चल रही है। इसके तहत गैर कश्मीरियों की हत्या की जा रही है और छिटपुट अन्य घटनाएं भी की गई हैं।
Jammu & Kashmir | IED detected on Bandipora-Sopore road between Badyara and Kanbathi villages in Bandipora district; Bomb Disposal Squad called in.
Vehicular movement on the road has been halted as a precautionary measure. pic.twitter.com/b5kDg4ShZo
— ANI (@ANI) October 15, 2022
जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक 18 किलो की आईईडी को सड़क के किनारे छिपाकर लगाया गया था। अगर आतंकी साजिश कामयाब होती, तो सुरक्षाबलों के साथ ही आम लोगों को भी बड़ी तादाद में जान गंवानी पड़ती। इस आईईडी को सामान्य तलाशी और रूट सैनेटाइजेशन के दौरान बरामद किया गया। उसे रिहायशी इलाके से दूर जंगल में निष्क्रिय किया गया। इसके बाद बांदीपोरा-सोपोर हाइवे पर आवागमन फिर से शुरू हो गया है। पुलिस के मुताबिक आईईडी को आतंकियों ने ऐसे छिपाया था कि वो सामने से दिख नहीं रहा था। यंत्रों के साथ चेकिंग के दौरान इसकी जानकारी मिली।
आईईडी को ज्यादा घातक बनाने के लिए इसे रसोई गैस के सिलेंडर के साथ जोड़ा गया था। सेना के काफिले को आज इस सड़क से गुजरना था। माना जा रहा है कि इस काफिले पर हमला करने के इरादे से ही आतंकियों ने आईईडी लगाई। आईईडी लगाने वालों की तलाश जोर-शोर से की जा रही है। बता दें कि पुलवामा में विस्फोटक लदी कार से 2019 में हमला किया गया था। जिसमें 40 से ज्यादा जवानों की जान गई थी। उस घटना के बाद से सेना या अन्य सुरक्षाबलों के जवानों का काफिला निकलने से पहले जांच की प्रक्रिया को और सख्त कर दिया गया है। पूरे रूट को सैनेटाइज करने के बाद ही काफिला निकाला जाता है।