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Twitter: खुल गई राहुल गांधी की पोल! Twitter को लेकर सामने आया कांग्रेस नेता का दोहरा रवैया

Congress: ट्विटर पर हमला बोलने के बाद राहुल गांधी का मोदी विरोधी पुराना टेप शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है। हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। मीडिया पर कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि ये तय हो गया है कि ट्विटर एक पक्षीय प्लेटफॉर्म है। यह भी मौजूदा सरकार की ही बात सुनता है।

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सत्तापक्ष के उनके विरोधी एक कन्फ्यूज़ड राजनेता के रूप में पुकारते हैं, क्योंकि वे अक्सर कई मुद्दों पर अपना दोहरा रवैया दिखाते हैं। वे खुद ये भूल जाते हैं कि जिस मुद्दे के खिलाफ वे आज बोल रहे हैं कल उन्हीं की पार्टी ने उसका समर्थन किया था। ऐसा ही कुछ आज एक बार फिर देखने को मिला है। दरअसल, जब मोदी सरकार फेसबुक,ट्विटर जैसी आईटी कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए IT गाइडलाइंस लेकर आई थी, तब कांग्रेस और विपक्षी नेताओं ने इसके जरिए ट्विटर पर हमला करने का आरोप लगाया था, लेकिन अब राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल सस्पेंड हो गया, तो वे इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एकतरफा होने का आरोप लगा रहे हैं।


राहुल गांधी ने शुक्रवार को अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो अपलोड किया है। इस वीडियो में कांग्रेस नेता ने कहा कि उनका हैंडल सस्पेंड करना देश की राजनीति में हस्तक्षेप है। एक निजी कंपनी हमारे यहां राजनीति की परिभाषा तय कर बिजनेस कर रही है। उन्होंने कहा कि ट्विटर हैंडल को सस्पेंड करने को वह देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमले की तरह देखते हैं। राहुल ने कहा कि ये मुझपर नहीं, मेरे 19-20 मिलियन फॉलोवर्स पर हमला है। ट्विटर उन्हें अपनी राय रखने से रोक रहा है।

ट्विटर पर हमला बोलने के बाद राहुल गांधी का मोदी विरोधी पुराना टेप शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है। हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। मीडिया पर कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि ये तय हो गया है कि ट्विटर एक पक्षीय प्लेटफॉर्म है। यह भी मौजूदा सरकार की ही बात सुनता है।

Rahul Gandhi

हालांकि ट्विटर पर हमला बोलने से पहले राहुल गांधी ये भूल गए कि जब केंद्र सरकार ट्विटर को नए आईटी नियमों का पालन करने को कह रही थी तब उनकी ही पार्टी ने ट्विटर का पक्ष लिया था और सरकार के उस कदम को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला करार दिया था।

 

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राहुल गांधी आज भले ट्विटर को सरकार के इशारे पर चलने वाली कंपनी बता रहे हों लेकिन साल 2018 के नवंबर महीने इन्हीं राहुल गांधी ने ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी से बड़ी दोस्ताना मुलाकात की थी।


इस दौरान उनके बीच फेक न्यूज़ को लेकर चर्चा हुई थी। उस वक्त राहुल गांधी ने इस मुलाकात की तस्वीरें अपने ट्विटर हैंडल से भी शेयर की थीं। तो राहुल का आज वाला रवैया देखकर ये कहा जा सकता है कि दोस्त..दोस्त न रहा!