नई दिल्ली। मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले उन्हें गुजरात की सुरत कोर्ट ने इस मामले में दो साल की सजा सुनाई। इसके बाद उन्हें संसद की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। बाद में सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला। वहीं अब पटना के एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें 12 अप्रैल को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा है। बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में सुशील कुमार मोदी ने राहुल के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। यह याचिका उन्होंने मोदी सरनेम मामले में दाखिल की थी। जिसके बाद राहुल को समन जारी किया गया था। हालांकि, बाद में कांग्रेस नेता को जमानत मिल गई थी। लेकिन, अब उन्हें फिर से आगामी 12 अप्रैल को कोर्ट में इस मामले में पेश होने के लिए समन जारी किया गया है।
बता दें कि इससे पूर्व गुजरात की सूरत कोर्ट ने राहुल को मोदी सरनेम मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें अपनी सांसदी से हाथ धोना पड़ा था। ध्यान रहे कि जन-प्रतिनिधित्व कानून के तहत अगर किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता निरस्त कर दी जाती है। हालांकि, उसके पास इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का विकल्प होता है। ध्यान रहे कि कुछ ऐसी ही स्थितियों का सामना राहुल गांधी को भी करना पड़ा है, जिसके बाद अब उन्हें अपनी सांसदी गंवानी प़ड़ी। हालांकि, उनके पास कोर्ट में जाने का विकल्प शेष है। इसके लिए उन्हें 30 दिनों का समय दिया गया है। लेकिन, अभी तक उन्होंने इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाय़ा है, जिस पर बीते दिनों बीजेपी ने भी तंज कसा था। बीजेपी ने कहा था कि पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के वक्त कांग्रेस ने अधिवक्ताओं की फौज खड़ी कर दी थी। खेड़ा की गिरफ्तारी के तत्काल के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन राहुल के मामले में शिथिलता क्यों बरती गई?
इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस उनसे छुटकारा पाना चाहती थी। पहले वायनाड के लोगों ने उनसे छुटकारा प्राप्त किया। इसके बाद अब उनसे कांग्रेस ने भी निजात पा लिया है। उधर, चुनाव आयोग वायनाड में उपचुनाव कराने पर कोई विचार नहीं कर रही है। बता दें कि बीते बुधवार को ही निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किया था। इस बीच आयोग से वायनाड में उपुचनाव को लेकर भी सवाल किया गया था, लेकिन आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि अभी इस बारे में आयोग कोई विचार नहीं कर रहा है, क्योंकि राहुल के पास ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प है।