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चीन को धोखेबाजी का मिल रहा जवाब, अब भारत के इस झटके से कैसे उबरेगा ड्रैगन

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीन को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारतीय रेलवे ने चीन को दिया गया 470 करोड़ का ठेका किया रद्द कर दिया है। इससे साफ जाहिर है कि सीमा विवाद की आंच कारोबार तक पहुंच चुकी हैं।

नई दिल्ली। भारत और चीन में काफी समय से तनाव चल रहा है। हाल ही में हुए सीमा विवाद में दोनों देशों के सैनिकों ने अपने प्राण गंवाए। भारत के 20 जवान इस घटनाक्रम में शहीद हुए तो वहीं चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को भी जान से हाथ धोना पड़ा। इसको लेकर भारत में आक्रोश व्याप्त है। चीन की इस तरह की कायराना हरकत का जवाब देने के लिए भारत सरकार ने भी कमर कस ली है। चीन को हर मोर्चे पर घेरने की तैयारी है। ऐसे में भारत ने चीन को आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ा झटका दिया है। दरअसल, भारतीय रेलवे ने चीन को दिया गया 470 करोड़ का ठेका किया रद्द कर दिया है। इससे साफ जाहिर है कि सीमा विवाद की आंच कारोबार तक पहुंच चुकी हैं।

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470 करोड़ का ठेका क्यों रद्द किया गया

चीन को दिए गए 470 करोड़ का ठेके को रद्द करने के बाद भारतीय रेलवे ने इसकी वजह बताई। वजह बताते हुए रेलवे ने कहा कि चार साल में केवल 20 फीसदी काम हुआ है और काम की धीमी गति की वजह से ठेका रद्द किया गया है।

डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्‍टीट्यूट ऑफ सिगनल एंड कम्‍यूनिकेशंस ग्रुप कंपनी लिमिटेड को कॉन्‍टेक्‍ट दिया गया था जिसे काम में लेटलतीफी के चलते रद्द किया गया है। डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया पर कानपुर से दीनदयाल उपाध्‍यय नगर के बीच सिग्नलिंग और टेलीकॉम का 471 करोड़ का यह कॉन्ट्रैक्ट चीनी कंपनी को दिया गया था।

दूरसंचार विभाग ने भी दिया चीन को बड़ा झटका

इससे पहले भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने चीन को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, दूरसंचार विभाग ने फैसला किया है कि बीएसएनएल के 4G इक्विपमेंट को अपग्रेड करने के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। खबरों के मुताबिक मंत्रालय ने बीएसएनएल और एमटीएनएल से कहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाए। विभाग ने इस संबंध में टेंडर पर फिर से काम करने का फैसला किया है। विभाग निजी मोबाइल सेवा ऑपरेटरों से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए भी विचार कर रहा है क्योंकि चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों की नेटवर्क सुरक्षा हमेशा संदिग्ध होती है। इसलिए दूरसंचार विभाग ने ये कदम उठाया है।

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पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुआ थी हिंसक झड़प

आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून की रात को हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद देश में चीनी सामान के बॉयकॉट की मांग ने जोर पकड़ ली।