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राजस्थान सरकार का कारनामा- कोरोना पीक गुजरने के बाद भी जमकर खरीदे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, अनियमितता को लेकर सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

Rajasthan Oxygen Concentrators: केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में पलटवार किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने ट्वीट में लिखा है कि, पहले पंजाब और अब राजस्थान, कांग्रेस शासित राज्यों में ‘महामारी मुनाफाखोरी’ प्रचलन में है।

नई दिल्ली।। कोरोना की दूसरी लहर का असर अब भले ही कम हो रहा हो लेकिन इस वायरस से बचने के लिए अभी कोविड गाइडलाइंस का पालन करने को कहा जा रहा है। वहीं राजस्थान में कोरोना महामारी की आड़ में कुछ ऐसे कारनामे किए जाने के तथ्य सामने आए हैं, जो राज्य की अशोक गहलोत सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल जहां कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की जरुरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद पर जोर दे रही थी तो वहीं अब जबकि कोरोना पीक जा चुका है, ऐसे में तब भी राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार इस पीक के खत्म होने के बाद भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीददारी कर रही है। और ना सिर्फ खरीददारी हुई है बल्कि इसमें जमकर अनियमितता भी सामने आई है। बता दें कि दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में तथ्य सामने आए हैं कि, गहलोत सरकार ने दूसरी लहर के दौरान आनन-फानन में 20 हजार कंसंट्रेटर खरीदे हैं।

भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, राजस्थान में कोरोना संकट में खरीदे गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को गहलोत सरकार ने दलाल के माध्यम से खरीदा है। इसके अलावा गहलोत सरकार ने 35-40 हजार रु. वाले कंसंट्रेटर को एक लाख रु. तक खरीदा। वहीं इसको लेकर सरकार की मंशा पर तब और सवाल उठते हैं, जब यह जानकारी सामने आई कि, यह कंसंट्रेटर कोरोना पीक के जाने के बाद खरीदे गए।

rajasthan oxygen

दरअसल जांच में सामने आया है कि, 11 जिलों के 65 स्वास्थ्य केंद्रों को लेकर हुई जांच में भास्कर की टीम ने पाया कि 1300 से ज्यादा कंसंट्रेटर के कीमतों में काफी अंतर है। ये सारे कंसंट्रेटर महंगी कीमत पर खरीदे गए वही कंसंट्रेटर को कंपनियां 35-40 हजार रु. में भी देने को तैयार हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक निजी कंपनी ने बताया कि उस समय भी 5 लीटर क्षमता वाले कंसंट्रेटर 35-40 हजार रु. के ही आ रहे थे।

हालत ये है कि, ग्रामीण विकास व पंचायतराज विभाग की वेबसाइट के अनुसार भीलवाड़ा, राजसमंद, कोटा, नागौर, झुंझुनूं, अलवर, बारां और चित्तौड़ के कई विस क्षेत्रों में कंसंट्रेटर एक लाख से सवा लाख रु. तक में खरीदे गए। इसकी खरीददारी के वक्त ये भी देखा नहीं गया कि ये किस कंपनी के हैं। चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब बांदीकुई के कोविड सेंटर में कंसेंट्रेटर को जांचा गया। जांच के दौरान पता चला कि यहां कंसेंट्रेटर में 5 लीटर प्रति मिनट पर ऑक्सीजन की शुद्धता मात्र 30% मिली। यह स्थिति हमें अन्य सेंटर्स पर मिली।

concentrators bill

सामने आए बिल जानकारी दे रहे हैं कि, कंसंट्रेटर अधिक दामों पर खरीदे गए हैं। ये बिल सीएमएचओ अजमेर को भेजा गया है, जिसमें चीनी कंपनी के घटिया कंसंट्रेटर की कीमत 83 हजार रु. है। विधायक ने इन्हें लौटा दिया। ये विधायक कोष से खरीदे गए।

इसको लेकर अजमेर (दक्षिण) की विधायक अनिता भदेल मेरे ने शिकायत में कहा कि, विधायक कोष के द्वारा 25 लाख रु. में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं उन पर किसी कंपनी का नाम तक नहीं है। इसके अलावा इसके साथ कोई गारंटी कार्ड भी नहीं है। ये 10 लीटर प्रति मिनट पर 30% ऑक्सीजन बनाते हैं। ये अस्पताल में तो क्या घर पर उपयोग के भी काबिल नहीं हैं। ये कंसंट्रेटर पांच घंटे से ज्यादा नहीं चल सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक अभी तक करीब 20 हजार कंसंट्रेटर आ गए हैं आगे और भी आने वाले हैं। ऐसे में सवाल बनता है कि आखिर इतने सारे कंसंट्रेटर किसके माध्यम से खरीदे गए। वहीं जिस दाम में ये कंसंट्रेटर खरीदे गए उससे सस्ते बाजार में उपलब्ध हैं, तो महंगे कंसंट्रेटर क्यों खरीदे गए।

वहीं केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में पलटवार किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने ट्वीट में लिखा है कि, पहले पंजाब और अब राजस्थान, कांग्रेस शासित राज्यों में ‘महामारी मुनाफाखोरी’ प्रचलन में है। उन्होंने राहुल गांधी से राजस्थान सरकार द्वारा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के बढ़े दामों पर ध्यान देने को कहा है।