नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को वन नेशन, वन इलेक्शन संबंधी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी। इसके खिलाफ कांग्रेस समेत 15 विपक्षी दलों ने आवाज उठाई। अब मोदी सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन संबंधी प्रस्तावित कानून पर विपक्षी दलों से आम सहमति बनाने की तैयारी की है। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर विपक्ष से सहमति बनाने का जिम्मा अपनी सरकार के तीन मंत्रियों राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू और अर्जुन राम मेघवाल को दिया है। राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू और राजनाथ सिंह विपक्ष के नेताओं से मिलकर उनको भी वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर सहमति देने के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे।
देश के कई राज्यों में विपक्ष की सरकार है। इनमें हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, झारखंड और केरल हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन के मसले पर कई विपक्षी दलों का साथ भी मोदी सरकार को मिलता दिख रहा है। बीजेडी और मायावती की बीएसपी ने वन नेशन, वन इलेक्शन का समर्थन किया है। हालांकि, दिक्कत ये है कि लोकसभा और राज्यसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन का बिल पास कराने के लिए संविधान संशोधन करना होगा और इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। इतनी संख्या मोदी सरकार या एनडीए गठबंधन के पास नहीं है। इसके अलावा देश के कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा से भी वन नेशन, वन इलेक्शन संबंधी संविधान संशोधन के पक्ष में वोटिंग करानी है।
अगर वन नेशन, वन इलेक्शन का कानून बनता है, तो इससे चुनाव के खर्च में करीब 5000 करोड़ रुपए की बचत होगी। वन नेशन, वन इलेक्शन का कानून बनने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे। इन चुनाव के 100 दिन के भीतर ही सभी स्थानीय निकायों के भी चुनाव करा लिए जाएंगे। वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों की एक ही वोटर लिस्ट भी तैयार होगी। अभी हर चुनाव के लिए वोटर लिस्ट अलग-अलग होती है और इससे तमाम वोटरों के नाम गायब होने की खबरें आती रहती हैं।