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Rakesh Tikait: राकेश टिकैत ने फिर अलापा आंदोलन करने का राग, तो भड़के लोगों ने लगा दी क्लास

Rakesh Tikket : तो देखा न आपने कि फिर से आंदोलन करने की बात पर भड़के लोगों ने उनकी कैसे क्लास लगा दी। बस.. इन प्रतिक्रियाओं को देखकर हमारी तो बस एक ही इल्तिजा है कि वे एक मर्तबा इन प्रतिक्रियाओं पर निगाहें दौड़ा लें और लगे हाथों कुछ अपनी तरफ से भी इस प्रतिक्रिया दे जाए, ताकि हम उस खबर बनाकर अपनी कलम दौड़ा लें। खैर, छोड़िए उन बातों को।

नई दिल्ली। चलिए छोड़िए चुनाव की चिंता। चुनाव तो हो ही चुके हैं और नतीजे भी आ ही गए हैं और लगे हाथों सभी सूबों के मुखियाओं ने भी मुख्यमंत्री की शपथ ले ही ली है, तो अब जरा बात देश के मुख्तलिफ समसामयिक मसलों पर तनिक गौर फरमा लेते हैं। यूं तो मौजूदा वक्त में कई मसले सियासी सैलाब में सराबोर हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि राकेश टिकैत ने एक बार फिर से विराट किसान आंदोलन आयोजित करने की बात कह डाली है। उन्होंने कहा कि, ‘किसान भाई सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे’। फिर क्या। उनकी इसी बात से भड़के लोगों ने उनकी ऐसी क्लास लगाई कि अगर उन्हें पता लग गया कि मैं लोगों के कहर का शिकार हो रहा हूं, तो समझिए वो किसी नई नवेली दुल्हन की भांति शर्मा जाएंगे। चलिए, पहले आपको उनके आंदोलन करने की बात पर आई लोगों की रोषपूर्ण प्रतिक्रियाओं से रूबरू कराए चलते हैं। और इसके बाद आगे हम आपको बताएंगे कि आखिर उन्होंने क्यों कहीं एक बार फिर किसान आंदोलन करने की बात। आखिर क्या था पूरा माजरा।

तो देखिए लोगों की रोषपूर्ण प्रतिक्रिया..!

तो देखा न आपने कि फिर से आंदोलन करने की बात पर भड़के लोगों ने उनकी कैसे क्लास लगा दी। बस.. इन प्रतिक्रियाओं को देखकर हमारी तो बस एक ही इल्तिजा है कि वे एक मर्तबा इन प्रतिक्रियाओं पर निगाहें दौड़ा लें और लगे हाथों कुछ अपनी तरफ से भी इस प्रतिक्रिया दे जाए, ताकि हम उस पर खबर बनाकर अपनी कलम दौड़ा लें। खैर, छोड़िए उन बातों को। चलिए, अब आगे यह जान लेते हैं कि आखिर उन्होंने क्यों फिर से किसान आंदोलन करने की बात कही।

तो इसलिए कही आंदोलन को करने की बात

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा तीनों विवादित कृषि कानूनों के वापस लेने के उपरांत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति को तीनों कृषि कानूनों के संदर्भ में आंदोलित किसानों की राय को संग्रहित कर उस  पर विवेचना व विश्लेषण करना दायित्व था। उधर, तीन सदस्यीय समिति के सदस्य में से एक अशोक धनवट ने विश्लेषण के उपरांत केंद्र सरकार को सौंपी अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया है कि किसान आंदोलन में संल्पित 70 फीसद किसान कृषि कानूनों के पक्ष में थे। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार को सौंपी अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया था कि कृषि कानूनों के वापसी के उपरांत 70 से 80 फीसद किसानों ने निराशा व्यक्त की थी।

अशोक धनवट ने अपने प्रतिवेदन में दावा किया है कि किसान भाई केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के पक्ष में थे। धनवट ने कहा कि इससे पूर्व वे तीन मर्तबा सुप्रीम कोर्ट को अपने प्रतिवेदन को सार्वजनिक करने हेतु पत्र लिख चुके थे। लेकिन कोर्ट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने के परिणामस्वरूप उन्होंने खुद ही रिपोर्ट सार्वजनिक करने का फैसला किया है। वहीं, अशोक धनवट के उक्त प्रतिवेदन पर राकेश टिकैत ने अब फिर किसान आंदोलन करने की बात कही है। उन्होंने अशोक धनवट के रिपोर्ट के संदर्भ में आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि लगता है कि सरकार अब फिर से तीनों कृषि कानूनों को लाने पर विचार कर रही है। टिकैत ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो फिर से किसानों द्वारा बड़ा आंदोलन किया जाएगा। तो बतौर पाठक इस पूरे मसले पर आपका क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।