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भारतीय किसान यूनियन ने राकेश टिकैत को दिखाया बाहर का रास्ता, छीना अध्यक्ष पद, इस शख्स को सौंपी कमान

Rakesh Tikait : कथित तौर पर कई किसानों का कहना है कि बीते दिनों कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के बहाने राकेश टिकैत ने अपनी गतिविधियों के जरिए यूनियन को राजनीतिक शक्ल देने की कोशिश की थी। जिसे ध्यान में रखते हुए अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाखा गया है।

नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन ने राकेश टिकैत को अध्यक्ष पद से बेदखल करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उनकी जगह नरेश टिकैत को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लखनऊ स्थित गन्ना किसान संस्थान में यूनियन नेताओं की बैठक के उपरांत राकेश टिकैत को बाहर करने का फैसला किया गया है। हालांकि, यूनियन के इस फैसले के उपरांत टिकैत परिवार में कलह का आलम है। बता दें कि महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि ( 15 मई ) के मौके पर राकेश  टिकैत को अध्यक्ष पद से अपदस्थ करने का फैसला किया गया है। इस फैसले के उपरांत टिकैत कुनबा दो फांड होता दिख रहा है। पिछले कई दिनों से किसानों की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए राकेश टिकैत को बाहर का रास्ता दिखाया गया है।

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कथित तौर पर कई किसानों का कहना है कि बीते दिनों कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के बहाने राकेश टिकैत ने अपनी गतिविधियों के जरिए यूनियन को राजनीतिक शक्ल देने की कोशिश की थी। जिसे ध्यान में रखते हुए अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाखा गया है। ध्यान रहे कि बीते दिनों तीनों कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत प्रमुख चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए थे। उनकी अगुवाई में ही किसान आंदोलन हुआ था। कई बार इस आंदोलन के बहाने शरारती तत्व अपनी नापाक मंशा को धरातल पर उतारने में सफल भी रहे थे। जिसे ध्यान में रखते हुए राकेश टिकैत को कई बार निशाने पर भी लिया गया था।

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उन दिनों को भी नहीं भुलाया जा सकता है, जब राकेश टिकैत की अगुवाई में 26 जनवरी के मौके पर हुए बवाल के बाद आंदोलन अपने विराम स्थल पर जा  चुकी थी। लेकिन राकेश टिकैत ने बाद में अपने आंसूओं के दम पर इस आंदोलन को पुनर्जीवत करने का काम किया। जिसके बाद आंदोलन ने फिर ऱफ्तार पकड़ी और तीनों कृषि कानूनों को वापस ले ले लिया गया, लेकिन कथित तौर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में  आंदोलन के बहाने राजनीति में जमीन तलाशने की  जुगत में जुटने से नाराज यूनियन ने राकेश टिकैत को बाहर का रास्ता दिखाया है। लेकिन माना जा रहा है कि यूनियन के फैसले के उपरांत कई किसानों में रोष है। अब ऐसी स्थिति में यह पूरा माजरा आगे चलकर क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।