Real Story Of Galwan Clash: गलवान संघर्ष में चीन के खिलाफ भारतीय वीरों की सच्ची कहानी आई सामने, हमारे जवानों को दुश्मन ने किया था इस तरह शहीद
साल 2020 की 20 जून की रात भारतीय सेना के जवानों और चीन की सेना के जवानों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में जमकर संघर्ष हुआ था। उस संघर्ष में भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी थी।
नई दिल्ली। साल 2020 की 20 जून की रात भारतीय सेना के जवानों और चीन की सेना के जवानों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में जमकर संघर्ष हुआ था। उस संघर्ष में भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी थी। संघर्ष में चीन के भी तमाम जवान मारे गए, लेकिन चीन ने इनकी संख्या सिर्फ 4 बताई। अब दो पत्रकारों ने गलवान संघर्ष में हिस्सा लेने वाले जवानों और अफसरों से बात कर उस घटना की असली हकीकत बताई है। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स और इंडिया टुडे के पत्रकार शिव अरूर ने अपनी किताब ‘India’s Most Fearless 3’ में बताया है कि किस तरह चीन की सेना ने भारत के एक जवान को अगवा किया और उससे इलाज कराने के बाद उसकी हत्या तक कर दी।
किताब में बताया गया है कि किस तरह गलवान में भारत और चीन के बीच संघर्ष शुरू हुआ। इसमें बताया गया है कि चीन के जवानों ने एलएसी पर भारतीय फौज पर अचानक हमला किया। किताब में संघर्ष के प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया गया है कि चीन के कम से कम 43 जवान इस संघर्ष में मारे गए। इस किताब में सेना के नायक दीपक सिंह की भी कहानी है। दीपक को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया। गलवान संघर्ष में शामिल जवानों ने दोनों पत्रकारों को बताया कि दीपक सिंह घायल जवानों का इलाज कर रहे थे। उन्हें मरहम-पट्टी लगा रहे थे। दीपक ने चीन के घायल जवानों की भी मरहम-पट्टी की थी। इसके बाद चीन के जवानों ने उन्हें अगवा कर लिया और अपने कैंप में ले गए। वहां अपने घायलों का इलाज कराने के बाद चीन के जवानों ने दीपक सिंह की हत्या कर दी।
In Galwan, Army medic Naik Deepak Singh, 30, who treated & saved the lives of wounded Chinese soldiers, was abducted by the PLA to treat more of them & then killed: new first-hand details of the 2020 clash in Ladakh.
Front page piece on #IndiasMostFearless 3 in @HindustanTimes. pic.twitter.com/BtYZzFiRMm
— Shiv Aroor (@ShivAroor) August 10, 2022
गलवान संघर्ष के दौरान वहां तैनात 16 बिहार के सेकेंड इन कमांड कर्नल रविकांत ने बताया कि दीपक ने तमाम जवानों की जान उस अंधेरी रात में बचाई। फिर भी चीन के जवानों को उनकी हत्या करते हुए जरा भी शर्म या झिझक नहीं हुई। कर्नल रविकांत के मुताबिक संघर्ष में घायल अपने जवानों को चीन की सेना वहीं छोड़कर चली गई थी। दीपक ने ऐसे ही जवानों को मदद दी। यहां तक कि चीन के जवानों की ओर से बड़े पत्थर फेंके जाने से दीपक के चेहरे पर चोट लगी, लेकिन वो जवानों की मरहम-पट्टी करते रहे। किताब में आप गलवान संघर्ष की ऐसी ही वीरता की और कहानियां भी जान सकते हैं। जो प्रत्यक्षदर्शी जवानों से बातचीत के बाद लिखी गई है।