
देहरादून। जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव में क्या एनटीपीसी की टनल की भूमिका है? इसकी जांच उत्तराखंड सरकार कराने जा रही है। उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी एसएस संधू ने मीडिया को ये जानकारी दी। जोशीमठ में भू धंसाव से 700 से ज्यादा घरों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ये मकान खतरनाक बन गए हैं। 2 होटल भी झुक गए थे। जिनको तोड़ा जा रहा है। जोशीमठ के लोगों का आरोप है कि एनटीपीसी की टनल खोदे जाने की वजह से ही भू धंसाव हुआ है और उनके मकानों की ये हालत हुई है। लोगों के इस आरोप के बाद उत्तराखंड सरकार अब जांच कराने जा रही है।
चीफ सेक्रेटरी एसएस संधू ने कहा कि जोशीमठ में भू धंसाव की जांच का काम 8 एजेंसियों को दिया जा रहा है। ये एजेंसियां मिलकर पता लगाएंगी कि जोशीमठ में अचानक भू धंसाव की वजह क्या है। राज्य सरकार ने एजेंसियों से जल्दी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। संधू ने कहा कि जोशीमठ और यहां के लोगों को बचाने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। बता दें कि लोगों ने अपने मकान तोड़े जाने का विरोध किया था। जिसके बाद मकानों को फिलहाल उसी हालत में रहने देने का फैसला उत्तराखंड सरकार ने किया है। होटल ज्यादा खतरनाक थे। इस वजह से उनको गिराया जा रहा है।

वहीं, अगर एनटीपीसी की टनल की बात करें, तो सरकारी कंपनी ने इससे पहले ही इनकार किया है। एनटीपीसी की तरफ से बयान जारी कर दावा किया गया था कि उसकी टनल का जोशीमठ के भू धंसाव से कोई लेना देना ही नहीं है। एनटीपीसी की ये टनल विष्णुगाड पनबिजली परियोजना से जुड़ी है। जोशीमठ शहर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर एनटीपीसी ने ये टनल बनाई है। जबकि, जोशीमठ के लोग इसी टनल को मौजूदा आपदा की वजह बता रहे हैं।