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Mohan Bhagwat: ‘एक-दूसरे के सुख और दुख में शामिल हों और मिलकर रहें देशवासी’, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आग्रह

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शरीर छोड़ने के बाद इसका मोह क्यों करना। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को किसी से अंग मिला है, उनको समाज के लिए उपयोगी काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऋषि और कई मुनि ने अपने प्राण छोड़कर शरीर और अस्थियां दी थीं।

सूरत। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के चीफ मोहन भागवत ने देशवासियों से अपील की है कि वे सभी आपस में मिलकर रहें। मोहन भागवत ने लोगों से आग्रह किया है कि वे एक-दूसरे के सुख और दुख में शामिल हों। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि यही देशभक्ति है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम एक मंत्र बना। गुलामी के खिलाफ बड़ा आंदोलन चला। मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद सारी जिम्मेदारी हमें सरकार पर नहीं सौंपनी चाहिए। उन्होंने अंगदान को देशभक्ति बताया और कहा कि मौत के बाद भी शरीर किसी के काम आ सकता है। इस वजह से अंगदान जरूर करना चाहिए।

surat 1

सूरत में अंगदान जागरूकता कार्यक्रम में बुधवार को मोहन भागवत ने अंगदान करने वालों के परिजनों को सम्मानित भी किया। इस कार्यक्रम में अंग हासिल करने वाले लोग भी मौजूद थे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शरीर छोड़ने के बाद इसका मोह क्यों करना। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को किसी से अंग मिला है, उनको समाज के लिए उपयोगी काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऋषि और कई मुनि ने अपने प्राण छोड़कर शरीर और अस्थियां दी थीं। अंगदान से देश को नई दिशा मिलने की बात भी मोहन भागवत ने कही। उन्होंने सूरत शहर की भी तारीफ की। मोहन भागवत ने कहा कि इस शहर को उदाहरण बनने की कोशिश करनी चाहिए। सभी के सहयोग से इसमें सफलता मिल सकती है।

mohan bhagwat in surat 2

बता दें कि इससे पहले मोहन भागवत 4 दिन तक लखनऊ में थे। तब उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता की बात कही थी। मोहन भागवत ने कहा था कि आरएसएस के लिए मुस्लिम भी अपने हैं। विरोधियों को भी मोहन भागवत ने आरएसएस का बताया था और संघ के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को मुस्लिमों और विरोधियों की लिस्ट तैयार कर उनसे मिलने के निर्देश दिए थे। अब सूरत में भी मोहन भागवत ने देशहित में एकता का आह्वान किया है।