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PFI: कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI पर बैन से भड़के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, दिया ये सांप्रदायिक बयान

शफीकुर्रहमान बर्क अपने सांप्रदायिक बयानों के लिए पहचाने जाते हैं। पीएफआई पर जब 22 सितंबर को बड़े पैमाने पर छापे पड़े थे, तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। बर्क ने इससे पहले भी तमाम विवादित बयान दिए हैं। बर्क ऐसे सांसद हैं, जो लोकसभा में वंदे मातरम के गायन के वक्त उठकर चले गए थे। इस वजह से भी वो विवादों में घिरे थे।

संभल। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI पर बैन से यूपी के संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क भड़क गए हैं। बर्क ने एक टीवी चैनल से बातचीत में पीएफआई पर बैन को मुसलमानों से जोड़ दिया। बर्क ने कहा कि पीएफआई मुसलमानों के हित की बात करती है, उनकी हितैषी है। इस वजह से उस पर प्रतिबंध लगाया गया है। बर्क यहीं नहीं रुके। उन्होंने पीएफआई को गैरकानूनी संगठन की जगह राजनीतिक दल भी बता दिया। बर्क ने कहा कि सरकार को तो मौका चाहिए और ऐसे संगठनों पर बैन लगाया जाता रहता है। उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमानों की बात तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम AIMIM भी करती है। बर्क ने कहा कि ऐसी पार्टियों पर हरगिज बैन नहीं लगना चाहिए।

बता दें कि शफीकुर्रहमान बर्क अपने सांप्रदायिक बयानों के लिए पहचाने जाते हैं। पीएफआई पर जब 22 सितंबर को बड़े पैमाने पर छापे पड़े थे, तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। बर्क ने इससे पहले भी तमाम विवादित बयान दिए हैं। बर्क ऐसे सांसद हैं, जो लोकसभा में वंदे मातरम के गायन के वक्त उठकर चले गए थे। इस वजह से भी वो विवादों में घिरे थे। खास बात ये कि बर्क के ऐसे कदम या सांप्रदायिक बयानों का सपा के किसी नेता की तरफ से कभी विरोध भी नहीं किया गया।

popular front of india pfi

बता दें कि केंद्र सरकार ने 22 और 27 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद इस संगठन और उससे जुड़े और सहयोगी संगठनों पर 5 साल का बैन लगाया है। छापों में जांच एजेंसियों को पुख्ता सबूत मिले थे कि पीएफआई भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है। इसके अलावा बिहार में बरामद दस्तावेज से ये भी खुलासा हुआ था कि ये इस्लामी संगठन भारत को साल 2047 तक इस्लामी राष्ट्र में बदलने की साजिश में भी शामिल था। पीएम नरेंद्र मोदी पर बिहार में हमले की साजिश और यूपी में दंगा कराने की योजना भी संगठन ने रची थी। इसके लिए हवाला से 120 करोड़ रुपए हासिल किए थे। दिल्ली में सीएए विरोधी दंगों और केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में कई हिंदूवादी नेताओं की हत्या में भी पीएफआई का हाथ होने के पुख्ता सबूत मिल चुके हैं।