लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा मुस्लिम समुदाय है। इनके वोट से सपा चुनाव में फायदा उठाती रही है, लेकिन क्या इस वजह से अखिलेश यादव और सपा के नेताओं को हिंदुओं के पूजा-पाठ से भी नफरत हो गई है! ये बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि पार्टी ने आजमगढ़ से हाल में जीते बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ के बड़े भाई को पूजा में शामिल होने की वजह से सपा से निकालने की तैयारी की है। बाकायदा इसका प्रस्ताव बनाकर अखिलेश यादव को भेजा गया है। प्रस्ताव में लिखा गया है कि निरहुआ के घर पर पूजा थी, जिसमें उनके बड़े भाई विजय लाल यादव शामिल हुए थे। इस वजह से गाजीपुर जिले में सपा के कार्यकर्ता आहत हैं और उन्हें सपा से निकाल दिया जाए।
बता दें कि निरहुआ के बड़े भाई विजय लाल यादव सपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव हैं। बीते दिनों लखनऊ आते वक्त उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट भी हुआ था और फिलहाल वो घायल अवस्था में अस्पताल में दाखिल हैं। गाजीपुर में सपा की इकाई की ओर से 28 जून को अखिलेश यादव को भेजी चिट्ठी में ये भी लिखा गया है कि निरहुआ के घर पूजा में शामिल होकर विजय लाल यादव ने सपा की छवि को कलंकित किया है। इस वजह से कार्रवाई होनी चाहिए। सवाल ऐसे में ये भी है कि क्या पूजा-पाठ और वो भी अपने भाई के यहां हो, तो विजय लाल क्यों नहीं उसमें शामिल हो सकते? जबकि, विचारों की भिन्नता के बाद भी यूपी के सीएम योगी और पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेता सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव से मिलते रहे हैं और उनका सम्मान करते रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि विजय लाल के पूजा में शामिल होने का मसला नहीं है। दरअसल, आजमगढ़ में निरहुआ के हाथ अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव की पराजय को पार्टी पचा नहीं पा रही है। इसी वजह से निरहुआ के भाई को पूजा-पाठ के नाम पर निकालने की तैयारी की गई है। सूत्रों का कहना है कि खुद अखिलेश ऐसा कदम उठाकर सवालों के घेरे में आना नहीं चाहते थे। इसी वजह से सपा की गाजीपुर इकाई की ओर से इस बारे में प्रस्ताव बनवाया गया है।