नई दिल्ली। तमाम ओपिनियन पोल में खुद की हालत पतली देखकर अब समाजवादी पार्टी यानी सपा ने नया दांव चला है। पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि ओपिनियन पोल को तुरंत प्रभाव से रोका जाए। दरअसल, किसी भी जगह चुनाव से 48 घंटे पहले प्रचार रुक जाता है। तब तक ओपिनियन पोल दिखाने पर भी रोक नहीं होती। जिस जगह का मतदान है, उसपर प्रचार रुकने पर वहां का ओपिनियन पोल भी नहीं दिखाया जा सकता। फिलहाल 10 फरवरी को पहले दौर का मतदान है और इसके लिए प्रचार 8 फरवरी से थम जाएगा। लेकिन अब जितने भी ओपिनियन पोल आ रहे हैं, उनमें यूपी में बीजेपी की बढ़त और दोबारा उसकी सरकार बनते बताया गया है। यहां तक कि ओपिनियन पोल में योगी आदित्यनाथ को भी 40 फीसदी से ज्यादा लोग दोबारा सीएम के पद पर देखना चाहते हैं, जबकि सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सीएम के तौर पर देखने की इच्छा रखने वालों की ओपीनियन पोल में 32 से 36 फीसदी की हिस्सेदारी है।
सपा अब शायद इसी वजह से परेशान है, क्योंकि ओपीनिय पोल में बीजेपी उससे आगे दिख रही है। वहीं, अखिलेश यादव लगातार दावा कर रहे हैं कि यूपी में उनकी पार्टी ही इस बार सत्ता में आएगी। अखिलेश के दावों को ओपीनियन पोल के आंकड़े काट रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने अब चुनाव आयोग में इन्हें बंद कराने की गुहार लगाई है। हालांकि, बीएसपी और कांग्रेस को भी यूपी की चुनावी जंग में जीतता हुआ किसी ओपीनिय पोल ने नहीं दिखाया है, लेकिन इन दो पार्टियों ने इसके खिलाफ कोई बात नहीं कही है। अब देखना ये है कि अखिलेश यादव की सपा की तरफ से जो मांग की गई है, उस पर चुनाव आयोग क्या फैसला करता है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होगा, जबकि 14 फरवरी को दूसरे का चरण का मतदान डाले जाएंगे। इसके अलावा 20 फरवरी को तीसरे चरण, 23 फरवरी को चौथे चरण, 27 फरवरी को पांचवें चरण, तीन मार्च को छठे चरण और सात मार्च को सातवें और आखिरी चरण का वोटिंग होगी। वहीं 10 मार्च को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।