
नई दिल्ली। इजराइल-हमास के बीच जारी युद्ध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि, युद्ध का बिगुल सबसे पहले आतंकी संगठन हमास की ओर से फूंका गया था, लेकिन अब उसके बाद इजराइल की जवाबी कार्रवाई का सामना करने की हिम्मत नहीं बची है। फिलिस्तीन तबाह हो चुका है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दुश्मन देश को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। हम छोड़ेंगे नहीं। उधर, इजराइल को अमेरिका सहित कई अन्य देशों का भी साथ मिल चुका है, लेकिन इस बीच इस पूरे मुद्दे को लेकर भारत में गजब का राजनीतिक माहौल बना हुआ है।
आपको बता दें कि जहां एक तरफ कुछ राजनीतिक दल इजराइल के समर्थन में खड़े हैं, तो कुछ फिलिस्तीन। हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि हमारी विदेश नीति के अनरूप इजराइल को समर्थन दिया गया, लेकिन कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल लगातार फिलिस्तीन के प्रति अपना दर्द बयां कर रहे हैं। उधर, सियासी विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा आगामी लोकसभा चुनाव में विशेष समुदाय का वोट पाने की खातिर किया जा रहा है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे हैं । बीते दिनों इसी संदर्भ में ओवैसी ने फिलिस्तीन का समर्थन किया था और दो टूक कहा था कि मैं तिरंगे के साथ फिलिस्तीन का झंडा लेकर जाऊंगा। बता दें कि उन्होंने ये बयान सीएम योगी के संदर्भ में दिया था, क्योंकि उनके इस बयान से एक दिन पहले ही सीएम योगी ने प्रदेश में फिलिस्तीन का समर्थन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।
वहीं, अब इस पूरे मामले पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत का बयान सामने आया है , जिसमें उन्होंने कहा कि आज की तारीख में पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत ही एक ऐसा मुल्क है, जहां पर शांति बनी हुई है। जहां एक तरफ इजराइल और हमास के बीच युद्ध का सिलसिला जारी है, तो वहीं दूसरी तऱफ पिछले एक वर्ष से भी रूस और यूक्रेन युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि भारत में हिंदू रहते हैं। यह हिंदुओं का देश है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यहां दूसरे धर्मों के लिए कोई जगह नहीं है।
निसंदेह यहां दूसरे धर्मों के लोगों को भी वही इज्जत प्रदान की जाती है, जो कि हिंदुओं को दी जाती है। हमारे देश में हर संप्रदाय के लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। किसी के भी साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार्य नहीं है। मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि अन्य देशों में अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। बता दें कि मोहन भागवत ने यह बयान छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल संपन्न होने के मौके पर दिया, जिसे लेकर अब राजनीति भी गरम हो चुकी है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में उनके द्वारा दिए गए इस बयान का राजनीतिक हलको में क्या कुछ असर पड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।